शिक्षक बनें छात्रों के प्रेरणास्रोत": प्रो. ऊषा दुबे ने विशेष व्याख्यान में दिया संदेश

प्रो. ऊषा दुबे ने प्रतापगढ़ में विशेष व्याख्यान के दौरान शिक्षकों से छात्रों के रोल मॉडल बनने का आह्वान किया। कहा—ज्ञान सतत प्रवाह में रहे, तभी विकास संभव है।

अप्रैल 11, 2025 - 21:49
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शिक्षक बनें छात्रों के प्रेरणास्रोत": प्रो. ऊषा दुबे ने विशेष व्याख्यान में दिया संदेश
शिक्षक बनें छात्रों के प्रेरणास्रोत": प्रो. ऊषा दुबे ने विशेष व्याख्यान में दिया संदेश

प्रयागराज। शिक्षक केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रहें, बल्कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास में मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत बनें—यह बात एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ की शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. ऊषा दुबे ने कही। वे ठा. हर नारायण सिंह डिग्री कॉलेज, करैलाबाग में "चैलेंजेज इन एजुकेशन" विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं।

छात्रों में क्षमता पहचानें, बनाएँ प्रेरणा स्रोत
प्रो. दुबे ने कहा कि शिक्षक का कार्य सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि छात्र की छिपी प्रतिभा और आत्मविश्वास को उजागर कर उसे समाज में एक सफल व्यक्ति के रूप में स्थापित करना भी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "जैसे पानी बहता रहे तो वह साफ रहता है, वैसे ही ज्ञान भी सतत प्रवाह में रहना चाहिए।"

उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों के ज्ञान की पिपासा को कभी शान्त न होने दें, और स्वयं भी नवीन ज्ञान अर्जन में जुटे रहें।

विद्या वही, जो मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करे
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार गोविन्द राव ने विष्णुपुराण की पंक्ति "सा विद्या या विमुक्तये" का उद्धरण देते हुए शिक्षा को मुक्ति का माध्यम बताया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित न रखें, बल्कि उसे व्यवहार और आचरण में उतारें।

आयोजन में सैकड़ों छात्र-छात्राओं की सहभागिता
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंबिका प्रसाद ने किया जबकि शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति यादव ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. पूजा ठाकुर, डॉ. जितेन्द्र वर्मा, विवेक मिश्रा, संदीप सिंह, विजय आनंद सिंह, मोनिका कुशवाहा, प्रिया सिंह, डॉ. आराधना मुखर्जी, डॉ. आरती जायसवाल सहित लगभग 400 छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

व्याख्यान का उद्देश्य शिक्षा के बदलते परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका को व्यापक रूप से समझना और बच्चों में आत्मविश्वास व विकास की दिशा तय करना था।

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