रामायण से प्रेरित नेतृत्व पाठ्यक्रम ने छात्रों को दी जीवनदर्शन की नई दिशा
श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में ‘रामायण से नेतृत्व’ पाठ्यक्रम से छात्र नेतृत्व के मूल्यों से जुड़े।

इस 18 दिवसीय पाठ्यक्रम में छात्रों को प्राचीन ग्रंथ रामायण के नेतृत्व सूत्रों से अवगत कराया गया। श्रीराम के जीवन की विभिन्न घटनाओं जैसे वनवास, राज्य-त्याग, भाईचारा, युद्ध नीति एवं धर्म-संकटों के माध्यम से नेतृत्व के सिद्धांतों की व्याख्या की गई। यह कार्यक्रम इस बात पर केंद्रित रहा कि कैसे प्राचीन समय के नैतिक मूल्यों को आधुनिक नेतृत्व शैली में रूपांतरित किया जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इस्कॉन से आदित्य नारायण दास जी ने अपने उद्बोधन में श्रीराम के गुणों और उनके नेतृत्व की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा, “राम का चरित्र समय के पार नैतिकता और मूल्य आधारित नेतृत्व का आदर्श है। कौशल, ज्ञान और नैतिकता किसी भी नेतृत्व की मूल आत्मा हैं।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने कहा कि इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों को नेतृत्व की व्यावहारिक समझ दी गई, जिसे वे अपने जीवन में आत्मसात कर सकें। उन्होंने बताया कि रामायण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन का दर्पण है, जो हर स्तर पर मार्गदर्शन करता है।
पाठ्यक्रम के दौरान आयोजित इंटरएक्टिव सत्रों में छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और यह समझा कि नेतृत्व केवल अधिकार नहीं, अपितु जिम्मेदारी का नाम है। सत्रों में रामायण की कथाओं को आज के कॉर्पोरेट और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में जोड़कर प्रस्तुत किया गया।
इस आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकों और छात्रों की सराहनीय भागीदारी रही। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, प्रति कुलाधिपति, कुलपति, कुलसचिव समेत आस्था मिश्रा, दिव्या अवस्थी, मंजू भारद्वाज सहित अनेक गणमान्य शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का समापन इस प्रेरणादायक संदेश के साथ हुआ कि अगर हम श्रीराम के नेतृत्व सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएं, तो न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक और पेशेवर जीवन में भी श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
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