परिवहन निगम में निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन

कर्मचारियों ने निजीकरण, ठेकदारी प्रथा और वेतन कटौती के खिलाफ सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को ज्ञापन देकर अपनी समस्याओं और मांगों को प्रमुखता से रखा।

दिसंबर 30, 2024 - 22:11
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परिवहन निगम में निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन
परिवहन निगम में निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन

कानपुर। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में निजीकरण, ठेकदारी प्रथा और पीपी मॉडल के कारण उत्पन्न समस्याओं के विरोध में कर्मचारियों ने सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने इन मुद्दों को निगम के अस्तित्व और कर्मचारियों के हितों के लिए बड़ा खतरा बताया।

ज्ञापन में बताया गया कि संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का भारी शोषण हो रहा है। इन्हें न केवल देय तिथि पर वेतन और महंगाई भत्ता नहीं मिलता, बल्कि न्यूनतम वेतन तक प्रदान नहीं किया जा रहा है। मृतक आश्रितों को सात वर्षों से नियमित नियुक्ति नहीं दी गई है, और 2001 तक के संविदा चालकों-परिचालकों को शासन के आदेश के बावजूद नियमित नहीं किया गया है।

इसके अलावा, डग्गामार बसों के अवैध संचालन से निगम की आय प्रभावित हो रही है, जिससे संविदा कर्मचारियों के वेतन और प्रोत्साहन भत्तों में कटौती की जा रही है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि प्रति ट्रिप अतिरिक्त कटौती की जा रही है, जिसे कर्मचारियों ने शोषण और उत्पीड़न का गंभीर उदाहरण बताया।

ज्ञापन में यह भी उजागर किया गया कि उत्तराखंड परिवहन निगम ने 2010 में अपने संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दिया, जबकि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में अब तक ऐसा नहीं हुआ। संगठन ने मांग की कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं।

कर्मचारियों ने आह्वान किया कि परिवहन निगम में संविदा समाप्ति से पहले जांच की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया जाए और नियम विरुद्ध आर्बिटेशन की व्यवस्था को समाप्त किया जाए। उन्होंने राष्ट्रीयकृत मार्गों पर अवैध बस संचालन रोकने और निगम की आय बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की।

ज्ञापन सौंपने के दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे, जिन्होंने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की।

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