पुराछात्र डा.दीपक धर को मिली मानद उपाधि , इविवि के सौवें स्थापना वर्ष पूरा होने पर मेघनाद साहा स्मृति व्याख्यान

अक्टूबर 6, 2023 - 18:23
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पुराछात्र डा.दीपक धर को मिली मानद उपाधि , इविवि के सौवें स्थापना वर्ष पूरा होने पर मेघनाद साहा स्मृति व्याख्यान
पुराछात्र डा.दीपक धर को मिली मानद उपाधि , इविवि के सौवें स्थापना वर्ष पूरा होने पर मेघनाद साहा स्मृति व्याख्यान

प्रयागराज।अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग ने शुक्रवार को मेघनाद साहा स्मृति व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस दौरान भौतिकी विभाग में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। आईआईएसईआर पुणे में भौतिकी के प्रख्यात प्रोफेसर,पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर दीपक धर समारोह के मुख्य अतिथि थे। प्रो.एन.के.एस. गौड़ और प्रो.गौतम गंगोपाध्याय इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.संगीता श्रीवास्तव ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष प्रो.वी.के.तिवारी और डीन, विज्ञान संकाय प्रोफेसर बेचन शर्मा ने दिया। इसके बाद विभाग के पूर्व विभागाध्यक्षों का अभिनंदन किया गया। विशिष्ट अतिथि प्रो.गौतम गंगोपाध्याय, ने मेघनाद साहा के जीवन पर विस्तृत शोध किया है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मेघनाद साहा ने भौतिकी का एक समुदाय बनाया था जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय को कोलकाता और शायद पूरे देश के विज्ञान समुदाय से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि वह प्रो.साहा द्वारा पोषित संस्थान में उन्ही की स्मृति में आयोजित ऐसे ऐतिहासिक कार्यक्रम में उपस्थित होकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। प्रो.एन.के.एस.गौर ने युवा और गतिशील संकाय सदस्यों को भौतिकी विभाग के पिछले गौरव को वापस लाने के लिए भी प्रेरित किया।

प्रो.दीपक धर को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं मेघनाद साहा शताब्दी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। प्रो.संगीता श्रीवास्तव ने उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस (डीएससी) की मानद उपाधि भी प्रदान की। विभागाध्यक्ष प्रो. वी.के. तिवारी ने प्रो. दीपक धर के लिए प्रशस्ति पत्र वाचन किया। एक संक्षिप्त संबोधन में डा.धर ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया यह सम्मान विशेष और अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि वह विश्वविद्यालय द्वारा उनके काम को दी गई मान्यता के लिए आभारी और सम्मानित महसूस करते हैं, जैसे एक बच्चा अपने माता-पिता द्वारा उसकी उपलब्धियों की सराहना करने पर गर्व महसूस करता है।

प्रो. धर ने कहा कि माता-पिता बच्चे का पालन-पोषण करते हैं और बच्चे में मूल्यों का समावेश करते हैं। बच्चों को तब माता-पिता से शिकायत हो सकती है, लेकिन बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होता है कि एक दिन जब वे बड़े होंगे, तो वे इन मूल्यों को स्थापित करने वाले माता-पिता को कृतज्ञता के भाव से देखेंगे। विश्वविद्यालय एक ऐसा अभिभावक रहा है और उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है, उसका श्रेय विश्वविद्यालय में उनके शुरुआती वर्षों को जाता है।
 कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के उच्च पदों पर बैठने और शिक्षा, न्यायपालिका, नौकरशाही आदि के विविध क्षेत्रों में काम करने का उल्लेख किया। पुराछात्रों अपनी उपलब्धियाँ उनके द्वारा अपने गुरुओं से ग्रहण किए गए गुणों और संस्कारों के कारण मानते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर दीपक धर को  प्रदान की गई मानद डी.एससी. की डिग्री पर हस्ताक्षर करना उनके लिए सम्मान की बात थी। छात्रों पर शिक्षक के प्रभाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षक बनना आसान हो सकता है लेकिन एक अच्छा शिक्षक बनना कठिन है। इसलिए, उन्होंने सलाह दी कि शिक्षको को इस तरह काम करना चाहिए कि भविष्य में एक दीपक धर की जगह हमारे पास कई दीपक धर जैसे मेधावी हो सकें। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक प्रो. के.एन.उत्तम ने दिया।

जबकि दूसरे सत्र में डा.दीपक धर और डा.गौतम गंगोपाध्याय ने दूसरे सत्र में एम.एन.साहा मेमोरियल व्याख्यान दिया।  कार्यक्रम में प्रो.बेचन शर्मा, डीन, विज्ञान संकाय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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