पहलगाम हमला: आतंक के खिलाफ एकजुटता और आयुध निर्माणियों के पुनर्जीवन की पुकार
पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में उठी आवाज, आयुध निर्माणियों के निगमीकरण को रद्द करने की पुरजोर मांग

कानपुर। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार को हुआ दिल दहला देने वाला आतंकी हमला पूरे देश को झकझोर गया है। 27 निर्दोष सैलानियों की बेरहमी से हत्या ने न केवल मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आतंकवादी तत्व किसी धर्म या इंसानियत के दायरे में नहीं आते।
इस दर्दनाक घटना की कड़ी निंदा करते हुए कानपुर स्थित ओईएफ फूलबाग कानपुर किला मजदूर यूनियन के महामंत्री समीर बाजपेई ने इसे आतंकियों की कायराना हरकत बताया। उन्होंने गहरे दुख के साथ कहा कि यह हमला केवल भारत नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए चेतावनी है कि आतंकवाद एक वैश्विक संकट बन चुका है और इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय एकता अनिवार्य है।
समीर बाजपेई ने इस हमले के बहाने देश की रक्षा नीति और संसाधनों पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए दशकों से अहम भूमिका निभा रही आयुध निर्माणियों को 2021 में निगमीकरण के तहत कॉर्पोरेट रूप दे दिया गया, जिससे न केवल उनके अस्तित्व पर संकट आया है, बल्कि सेना को समय पर जरूरी सामग्री की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है।
उनका कहना है कि निगमीकरण के बाद से स्थायी नियुक्तियां बंद हैं, ठेके पर लोग लिए जा रहे हैं और काम की मात्रा में भारी गिरावट आई है। इससे उत्पादन की गुणवत्ता और समयबद्ध आपूर्ति दोनों प्रभावित हो रहे हैं, जो सीधे तौर पर सेना की क्षमता को प्रभावित करता है।
समीर बाजपेई ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे और आयुध निर्माणियों को रक्षा मंत्रालय के अधीन पुनः लाकर उन्हें सरकारी स्वरूप में पूर्ण रूप से बहाल करे। उन्होंने कहा कि यदि भारत को आतंकियों से सख्ती से निपटना है तो सैन्य बलों को मजबूत करने के साथ-साथ उन्हें आवश्यक संसाधन भी समय पर उपलब्ध कराना होगा।
आतंकवाद जैसी विकराल समस्या से निपटने के लिए जहाँ एक ओर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है, वहीं देश के अंदर सुरक्षा व्यवस्था और उत्पादन संसाधनों को मजबूत करना भी उतना ही जरूरी है। पहलगाम की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समय आ गया है जब देश को आंतरिक नीतियों की समीक्षा कर, हर स्तर पर सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
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