पेरिस में एशियाई सपूत #नीरजचोपड़ा एवं #अशरफ का बेहतरीन प्रदर्शन
कहां है राम मंदिर वक्फ एवं समाज के पैरोकार
पेरिस ओलंपिक के अंतिम चरणों में भाला फेंक में टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को रजत पदक मिला। उनको दूसरे स्थान पर धकेलना वाले पाकिस्तान की नदीम अशरफ है जिनको संसाधन ही नहीं बल्कि तकनीक और प्रेरणा भी नीरज चोपड़ा ने ही थी जिसे उन्होंने स्वीकारा भी। उन्होंने नीरज चोपड़ा को अपना भाई कहकर संबोधित किया दोनों खिलाड़ियों के परिवारजन भी एक दूसरे को बधाई देने के साथ एक दूसरे की खुशहाली की कामना कर रहे हैं। साथी नदीम अशरफ ने यह सिद्ध कर दिया कि संसाधन पदक नहीं दिला सकते उसके लिए चाहिए जुनून जो कि नीरज चोपड़ा नदीम अशरफ में है। नीरज चोपड़ा ने कहा कि वह दिन नदीम अशरफ का था जिसके चलते उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया। उसके भाले ने जो दूरी तय की वह अकल्पनीय थी वरना नीरज चोपड़ा भी किसी से कम नहीं थे उनका रजत पदक इसका सबूत है।
ऐतराज़ जनक बात यह है कि राम मंदिर के सनातनी एवं संस्कृति की वकालत करके लोगों ने राजनीतिक सत्ता तो हासिल कर ली लेकिन खिलाड़ियों को संसाधन मुहैया करने के लिए कोई उपस्थित नहीं है। कोई कहने को तैयार नहीं है कि अब मंदिरों के कोर्स में आए पैसे खिलाड़ियों के कल्याण एवं नए खिलाड़ियों की मेधा विकसित करने में लगाया जाए। वक्फ की संपत्ति के पैरों कर एवं समाज के आतंकवादियों के लिए अपने आंसू बहाने वाले नदीम अशरफ के लिए दो शब्द नहीं बोल पा रहे हैं। राहुल गांधी एवं मणि शंकर अहिर मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान एवं यूरोप से मदद मांग सकते हैं लेकिन नदीम अशरफ को एक भला नहीं भिजवा सकते इसमें तो AOC पीछे नहीं है करोड़ों रुपए पश्चिम एशिया एवं खाड़ी के देशों से बटोर सकते हैं लेकिन अशरफ के लिए दो शब्द भी नहीं बोल सकते संसाधन मुहैया कराने की तो बात छोड़िए।
अखिल सावंत
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