आखिर कौशांबी लोकसभा सीट से कब हटेगा आरक्षण - पिछडो मुस्लिमो सामान्य वर्ग को कब मिलेगा प्रतिनिधित्व का मौका
एड0 अजय कुमार श्रीमाली
कौशाम्बी देश की आजादी के बाद पहले लोकसभा का चुनाव होते ही इलाहाबाद शहर के तत्कालीन चायल लोकसभा क्षेत्र को आरक्षित कर दिया गया था जो 1952 के बाद लगातार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इस सीट पर आरक्षण चक्र काम नहीं कर सका 72 वर्षों से आरक्षण चक्र चुंबक की तरह चिपक गया है बसपा की सरकार में इलाहाबाद जिले से बटवारा करने के बाद कौशांबी जिले का गठन 1997 में हुआ और उसके बाद इसी चायल लोकसभा क्षेत्र को कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के नाम से परिवर्तित कर दिया गया लेकिन जिले का गठन होने के बाद कौशांबी लोकसभा सीट से भी अनुसूचित जाति के आरक्षण का चक्र नहीं हट सका
1952 से लगातार कौशांबी लोकसभा क्षेत्र कभी चायल के नाम पर तो कभी कौशाम्बी के नाम पर आरक्षित है जिससे बीते 72 वर्षों से कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल सका है आखिर बीते 72 वर्षों से सामान्य वर्ग मुस्लिम वर्ग और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ केंद्र की सरकार इतना अन्याय क्यों कर रही है कानून नियम और संविधान की बात करें तो लोकसभा चुनाव में आरक्षण का चक्र होना चाहिए और प्रत्येक लोकसभा चुनाव में यह आरक्षण अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र में परिवर्तित होना चाहिए लेकिन यह कानून और नियम कौशांबी लोकसभा सीट पर 72 वर्ष बाद भी नहीं लागू हो सका है जिससे इस क्षेत्र के सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला है
बीते 72 वर्षों से लगातार अनुसूचित जाति के लिए चायल और नाम बदलकर कौशांबी लोकसभा सीट आरक्षित किए जाने के बाद इस क्षेत्र का विकास भी बाधित रहा है आजादी के 77 वर्ष बाद उद्योग धंधे नहीं स्थापित हो सके हैं रोजगार के लिए लोगों को लुधियाना सूरत पंजाब दिल्ली मुंबई के साथ-साथ सऊदी अरब ईरान इराक कुवैत जाना पड़ रहा है आखिर सवाल उठता है कि इस क्षेत्र के लोगों ने क्या गुनाह किया है कि उन्हें अनुसूचित वर्ग के आरक्षण में जकड़ दिया गया है क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद ने भी कभी सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग मुस्लिम वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए लोकसभा सीट को आरक्षण मुक्त करने का प्रयास नहीं किया है क्योंकि उन्हें खुद सत्ता की लालशा है और वह नहीं चाहते कि कौशांबी लोकसभा क्षेत्र से सामान्य वर्ग पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग के नेता प्रतिनिधित्व कर सके जिससे कौशांबी लोकसभा सीट से 10 वर्ष से सांसद विनोद सोनकर ने एक बार भी लोकसभा में सत्र के दौरान इस बात पर सवाल जवाब नहीं किया कि आखिर कौशांबी लोकसभा सीट को कब आरक्षण मुक्त किया जाएगा कौशांबी सांसद विनोद सोनकर सहित पूर्व के सांसदों द्वारा आरक्षण मुक्त करने के लिए लोकसभा में प्रश्न नहीं उठाए गए हैं बल्कि कौशांबी सांसद विनोद सोनकर द्वारा सामान्य वर्ग के ब्राह्मण क्षत्रिय और बनिया बिरादरी के जातियों पर धर्म परिवर्तन की बात कहकर कुठाराघाट किया गया है हालांकि कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल कर आरक्षण मुक्त कौशांबी को करने की बात कही है।
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