अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की बैठक: एकता, उत्थान और दहेज मुक्ति पर जोर
बलिया में अखिल भारतीय क्षत्रिय भारत महासभा की बैठक संपन्न, जिसमें समाज की एकता, उत्थान और दहेज प्रथा पर विचार-विमर्श किया गया।

बलिया, चिलकहर: आज 09 फरवरी 2025, रविवार को बलिया जिले के चिलकहर ब्लॉक स्थित कलचुरी गढ़ में अखिल भारतीय क्षत्रिय भारत महासभा की महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय संरक्षक ठाकुर सुभाष सिंह ने की, जबकि इसका संचालन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह के नेतृत्व में हुआ। कार्यक्रम में पूर्वांचल और आजमगढ़ मंडल के सम्मानित पदाधिकारी एवं सैकड़ों क्षत्रिय समाज के लोग उपस्थित रहे।
क्षत्रिय समाज की एकता और उत्थान पर जोर
बैठक के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने समाज की वर्तमान चुनौतियों पर विचार-विमर्श करते हुए कहा कि आज के समय में क्षत्रिय समाज को संगठित होकर एक मंच पर आना होगा। आपसी मतभेद भुलाकर एकता बनाए रखना बेहद जरूरी है, तभी सामाजिक उत्थान और अधिकारों की रक्षा संभव हो सकेगी।
"पद बड़ा नहीं, हम सब एक हैं"
राष्ट्रीय संरक्षक ठाकुर सुभाष सिंह ने अपने संबोधन में कहा,
"कोई भी पद बड़ा नहीं होता, बल्कि समाज की एकता और सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने समाज के सभी लोगों से संगठित रहने और परस्पर सहयोग करने की अपील की।
"दहेज प्रथा को समाप्त करें"
बैठक के दौरान राजेश कुमार सिंह ने दहेज प्रथा को समाज से खत्म करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा,
"समाज को आगे बढ़ाने के लिए दहेज लेना और देना दोनों बंद करना होगा।"
उपस्थित गणमान्य लोग
इस बैठक में कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें शामिल हैं:
पूर्वांचल प्रदेश अध्यक्ष
प्रदेश उपाध्यक्ष अजय प्रताप सिंह, संजय कुमार सिंह, आनंद प्रकाश सिंह
प्रदेश सचिव अजय कुमार सिंह
जिला अध्यक्ष (आजमगढ़) अजय सिंह
पूर्वांचल प्रांत संरक्षक उग्रसेन सिंह
जिलाध्यक्ष (देवरिया) राजेश कुमार सिंह
गोरखपुर जिलाध्यक्ष अनिल सिंह राठौड़, अश्विनी कुमार सिंह (लालू)
मऊ जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह
बलिया जिलाध्यक्ष अनिल सिंह
व्यापार प्रकोष्ठ मंडल अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह
पूर्वांचल मीडिया प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह (विकास)
अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी एवं समाजसेवी
बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने सामाजिक संगठन को मजबूत करने, क्षत्रिय समाज को एकजुट रखने और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की।
इस आयोजन ने क्षत्रिय समाज में जागरूकता बढ़ाने और एकता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा।
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