"कविता के रंग, नारी के संग" – बरेली में गूंजा कवयित्री सम्मेलन
बरेली में कवयित्री सम्मेलन में नारी सशक्तिकरण की कविताएं गूंजीं, सौम्या सम्मान से डॉ प्रीती माहौर हुईं सम्मानित।

बरेली। "कविता के रंग, नारी के संग" इस खूबसूरत संदेश के साथ बरेली के खुशहाली सभागार में एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कवयित्री सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह अद्भुत साहित्यिक आयोजन पंडित राधे रमण वेलफेयर ट्रस्ट बरेली और सबरंग स्टूडियो के संयुक्त तत्वावधान में हुआ, जिसमें देशभर की महिला कवयित्रियों ने अपने शब्दों की गहराइयों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
इस भव्य आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सूचना विभाग की उप निदेशक श्रीमती नीतू कनौजिया एवं पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. विनोद पागरानी उपस्थित रहे। मंच की शोभा बढ़ाने वालों में संस्था की संरक्षक श्रीमती रमा देवी भी रहीं, जिन्होंने माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर मुरादाबाद से आईं लेखिका, समाजसेवी व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रीती माहौर को ‘सौम्या सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया। उनका उद्बोधन महिला अपराध, सामाजिक विषमताओं और दहेज प्रथा के खिलाफ था, जिसने सभागार में बैठे हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया।
कविताओं से सजी साहित्यिक शाम
सम्मेलन में कई ज़िलों से आईं कवयित्रियों ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया। बहेड़ी की सीमा मौर्य ‘शैली’ ने बेटियों की सामाजिक स्थिति को मार्मिक शब्दों में पिरोया:
"हर जगह जींस में आज आने लगीं,
खर्च मां-बाप का अब उठाने लगीं,
लांघती थीं नहीं द्वार तक जो कभी,
बेटियाँ चाँद के पार जाने लगीं।"
बरेली की वंदना मिश्रा ‘शरद’ ने अपने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत छंद से लोगों को गर्व से भर दिया:
"स्वतंत्रता के हवनकुंड से एक चिंगारी लाई हूँ,
शत शत नमन करो वीरों को, याद दिलाने आई हूँ।"
नेहा मिश्रा, बहेड़ी से ही, श्रृंगार रस से लबालब प्रेम की अभिव्यक्ति लेकर आईं और श्रोताओं के दिलों को छू गईं:
"साथ चलने की कभी कसमे नहीं खाना तुम,
चल सको साथ मेरे साथ में तो आना तुम।"
पूरनपुर की गीता राठौर ने प्रभु श्रीराम के आदर्शों का वंदन करते हुए श्रोताओं को आध्यात्मिक अनुभूति कराई:
"करूं श्री राम का वंदन, नमन प्रभु को हमारा है,
ये धरती राम की पावन, जहां गंगा की धारा है।"
पीलीभीत की कवयित्री रश्मि रेशु ने आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संदेश देते हुए कहा:
"तुम जो चाहो तो बुरा वक्त भी टल सकता है,
हर एक इंसान मोहब्बत में संभल सकता है।"
सम्मान, सराहना और संदेश
इस मंच पर कवयित्रियों की कविताओं की जितनी सराहना हुई, उतना ही सम्मान भी उन्हें प्राप्त हुआ। सौम्या सम्मान प्राप्त करने वाली डॉ. प्रीती माहौर को स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र और नगद राशि संस्था अध्यक्ष अंकुश शर्मा, निदेशक करुणानिधि गुप्ता, और अतिथि गणों द्वारा प्रदान की गई।
उप निदेशक सूचना श्रीमती नीतू कनौजिया ने नारी सशक्तिकरण की दिशा में इस तरह के आयोजनों को समय की मांग बताया और बेटियों को खुलकर आगे बढ़ने का संदेश दिया। वहीं डॉ. विनोद पागरानी ने इस साहित्यिक पहल को समाज में सकारात्मक परिवर्तन का आधार बताया।
पत्रकारों का हुआ विशेष सम्मान
कार्यक्रम में नारी स्वर के साथ-साथ पत्रकारिता की भूमिका को भी सराहा गया। संत प्रसाद शर्मा, त्रिभुवन सागर, सनी बाबू, राहुल श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार सक्सेना सहित कई पत्रकारों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने नारी साहित्य और संस्कृति को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य किया।
सफल आयोजन की मजबूत टीम
इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे संस्था की समर्पित टीम का अहम् योगदान रहा। आरती गुप्ता, महिमा गुप्ता, विशाल गुप्ता, दिव्या शर्मा, श्रेया शर्मा, अजय शर्मा, शिवम् मिश्रा, महेश पाल, संतोष आदि ने आयोजन को सुचारू रूप से संचालित किया।
संस्था अध्यक्ष अंकुश शर्मा ने आयोजन के अंत में ट्रस्ट के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और साहित्य को समाज से जोड़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। वहीं करुणानिधि गुप्ता ने आने वाले समय में ऐसे आयोजनों को और भव्य बनाने की योजना साझा की।
यह सम्मेलन केवल एक कवितामंच नहीं बल्कि नारी अभिव्यक्ति, सामाजिक संदेश और साहित्यिक सशक्तिकरण का संगम बन गया। कविता के माध्यम से जब नारी बोलती है, तो समाज सुनता है, और यही इस आयोजन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
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