प्रयागराज में कुमार विश्वास की कविताओं पर झूमे श्रोता, भारत की समावेशी संस्कृति की सराहना

जैनुल आब्दीन
डॉ. कुमार विश्वास ने सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए भारत की समावेशी संस्कृति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "भारत की माटी समरसता की प्रतीक है, जहां सभी रंग एक साथ खिलते हैं।" अपनी प्रसिद्ध कविता "ये गंगा का किनारा है" और "जिंदगी में लड़ा हूं तुम्हारे बिना" प्रस्तुत करते ही श्रोता झूम उठे। इसके अलावा "जोगीरा शरारारा" और "दिवाना कहता है, कोई पागल समझता है" जैसी कविताओं ने भी खूब वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम में हास्य कवि सुदीप भोला और दिनेश बावरां ने अपने व्यंग्यात्मक अंदाज में "नमो नमो" कविता से दर्शकों को गुदगुदाया। ओज के कवि रमेश मुस्कान और पद्मिनी शर्मा ने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्र चेतना का संचार किया।
समिति के अध्यक्ष ठाकुर चंदेल सिंह और प्रबंधक डॉ. उदय प्रताप सिंह ने डॉ. कुमार विश्वास और अन्य कवियों को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का संचालन आरजे निवेश ने किया। इस अवसर पर भाजपा महानगर अध्यक्ष संजय गुप्ता, राजेश केसरवानी, अभिषेक ठाकुर समेत हजारों श्रोता उपस्थित रहे। इस सांस्कृतिक उत्सव ने साहित्य प्रेमियों के बीच होलिका के रंगों और शब्दों के रस का अद्भुत समावेश किया।
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