एसआर ग्रुप में दिखी कलारीपयट्टू की झलक, विद्यार्थियों में जागी आत्मरक्षा की चेतना
एसआर ग्रुप लखनऊ में हुआ कलारीपयट्टू का प्रदर्शन, छात्रों को आत्मरक्षा और शारीरिक संतुलन का संदेश मिला।

लखनऊ। भारतीय युद्ध कलाओं की गौरवशाली परंपरा को जीवंत करते हुए एसआर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस, लखनऊ में कलारीपयट्टू का भव्य प्रदर्शन आयोजित किया गया। उत्तर प्रदेश कलारीपयट्टू संघ के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को आत्मरक्षा के विविध शास्त्र और शारीरिक-मानसिक संतुलन की तकनीक सिखाई गई।
कार्यक्रम के दौरान संघ के सचिव वैभव यादव ने बताया कि कलारीपयट्टू विश्व की सबसे पुरानी और भारत की मूल युद्धकला है, जिसकी जड़ें भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़ी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के शाओलिन मंदिरों में जो मार्शल आर्ट्स विकसित हुईं, उनकी जड़ें भी इसी कला में समाहित हैं।
प्रशिक्षकों ने दिए आत्मरक्षा के जीवंत प्रदर्शन
प्रशिक्षकों सौरभ रावत, निखिल रावत, लकी सिंह गौतम, हन्नान जिलानी, साहिल वर्मा, समीक्षा सिंह चौहान, शिवानी गौतम एवं मानसी जायसवाल ने तलवार, लाठी और अन्य पारंपरिक शस्त्रों के माध्यम से आत्मरक्षा की विभिन्न विधाओं का प्रदर्शन किया। छात्रों ने बड़ी उत्सुकता से इन तकनीकों को देखा और सीखा।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ज़ोर
संस्थान के वाइस चेयरमैन और कलारीपयट्टू संघ के उपाध्यक्ष पीयूष सिंह चौहान ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा,
“कलारीपयट्टू सिर्फ युद्धकला नहीं, यह स्वास्थ्य, अनुशासन और आत्मबल को विकसित करने का साधन है। आज के समय में हर छात्र को आत्मरक्षा में निपुण होना चाहिए।”
आने वाला समय और भी सशक्त
कार्यक्रम के समापन पर सदस्य विधान परिषद एवं संस्थान के चेयरमैन पवन सिंह चौहान ने घोषणा की कि जल्द ही संस्थान में सभी विद्यार्थियों के लिए एक विशेष कलारीपयट्टू प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि यह कला विद्यार्थियों की दिनचर्या का हिस्सा बन सके।
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