कैमरून में फंसे झारखंड के 11 श्रमिकों की सुरक्षित घर वापसी
कैमरून में फंसे झारखंड के 11 श्रमिकों की विदेश मंत्रालय और राज्य सरकार के प्रयासों से सुरक्षित वापसी, शेष 36 श्रमिक जनवरी में लौटेंगे।
नई दिल्ली। कैमरून में फंसे झारखंड के 11 प्रवासी श्रमिकों को राज्य सरकार और विदेश मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से सुरक्षित वापस लाया गया। इन श्रमिकों को वेतन भुगतान में अनियमितता और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था। केंद्र और राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका के कारण उनकी घर वापसी संभव हो पाई।
यह समूह झारखंड के 47 श्रमिकों के दल का हिस्सा है। शेष 36 श्रमिकों की वापसी की प्रक्रिया जारी है, और जनवरी 2025 में उनके भारत लौटने की उम्मीद है। वापस लाए गए श्रमिकों में हजारीबाग के रेवतलाल महतो, बोकारो के खिधर महतो और गिरिडीह के मुकेश महतो शामिल हैं। इन सभी ने रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद राहत व्यक्त करते हुए सरकार के प्रति आभार प्रकट किया।
इन श्रमिकों को मुंबई स्थित एक फर्म ने बिचौलियों के जरिए कैमरून भेजा था। हालांकि, फर्म ने अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 के तहत आवश्यक कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया, जिसमें श्रमिकों का पंजीकरण और लाइसेंस शामिल हैं।
राज्य श्रम आयोग ने फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें श्रमिकों के वेतन रोकने और कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है। प्रवासी नियंत्रण कक्ष की मदद से श्रमिकों के 39.77 लाख रुपये बकाया का भुगतान सुनिश्चित कराया गया।
कैमरून में भारतीय उच्चायोग ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और शेष श्रमिकों को जनवरी में वापस लाने के लिए सहायता प्रदान की। सरकार के इन ठोस प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि संकटग्रस्त प्रवासी श्रमिकों को उनके अधिकार और सम्मान वापस मिले।
(शाश्वत तिवारी)
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