कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का भारत सरकार पर आरोप लगाकर वैश्विक राजनीति में एक भूचाल ला दिया है। इस बयान के साथ उन्होंने अपने दिमागी दिवालियापन का सबूत भी दे दिया है और यह साबित कर दिया है कि भारत जैसे देश से अपने संबंध खराब कर वे अभी भी अपरिपक्व राजनीतिज्ञ हैं। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्ज्रर 17 साल से अवैध रूप से कनाडा में रह रहे थे और भारत द्वारा उसे आतंकवादी घोषित करते ही कनाडा ने उसे नागरिकता प्रदान कर दी थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत पर उसकी हत्या का आरोप लगाकर यह कयास लगाया था कि उसे अमेरिका ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तथा नाटो देश का समर्थन मिलेगा जिससे वह आतंकवादियों को शरण देने की जवाब देही से बच सकेंगे पर वॉशिंगटन पोस्ट की खबरों के अनुसार फाइव एलायंस यानी अमेरिका, ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड ने उसके इस आरोप से किनारा कर लिया और कोई समर्थन नहीं दिया है।
अब कनाडा के प्रधानमंत्री वैश्विक राजनीति में अलग-अलग पड़ गए हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री के सत्ताधारी गठबंधन में भी दरारें पड़ गई हैं लिबरल पार्टी के कई सांसदों ने भारत से संबंध बनाए रखना पक्ष में बयान दिए हैं। उनके ही मंत्री हरजीत सज्जन ने बयान देकर कहा है की कनाडा को भारत से रिश्ते तल्ख कर बनाने की जरूरत नहीं और कनाडा की प्रथम हिंदू कैबिनेट मंत्री अनीता आनंद ने भी प्रधानमंत्री को अत्यंत विवेक से कम लेने की सलाह दी है। यह बात अत्यंत महत्वपूर्ण है की कनाडा नाटो देश का सदस्य भी है पर नाटो देश ने भी उससे इस मामले में किनारा कर लिया है। कनाडा विगत कई सालों से खालिस्तानी आतंकवादियों को समर्थन देकर पाकिस्तान की राह में निकल पड़ा है।
खालिस्तानी आतंकवादियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आई,एस,आई सीधा समर्थन देकर उन्हें फंडिंग कर रही है इस तरह कनाडा पाकिस्तान और खालिस्तान आतंकवादियों का एक त्रिगुट बन गया है जो वह भारत विरोधी हरकतों को कनाडा तथा भारत में अंजाम देने में लगा हुआ है। कनाडा में वर्तमान में 9आतंकवादी संगठन एसे हैं जो सक्रिय रूप से भारत को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं और भारतीय दूतावास तथा अधिकारियों को सीधे तौर पर धमक भी रहे हैं। इन संगठनों का सीधा संबंध खालिस्तान आतंकवाद, ड्रग तथा मानव तस्करी जैसे अपराधों से जुड़ी हुई है।
भारत सरकार के विदेश प्रवक्ता ने दावा किया है की कनाडा सरकार की यह हरकत संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर का खुला विरोध है, संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के सातवें अध्याय में शामिल वैश्विक आतंकवाद के रोकथाम के लिए बनाए गए सुरक्षा परिषद के संकल्प 1373 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को शरण देने से पहले यह तय करना होता है की शरण लेने वाला व्यक्ति आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त तो नहीं है और कनाडा सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर आतंकवादी घोषित करने के पश्चात नागरिकता देकर संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर का खुला उल्लंघन भी किया है। भारत सरकार के अनुसार कनाडा में अभी भी 10 खालिस्तानी खूंखार आतंकवादी निवास कर रहे हैं जो कनाडा में मौजूद रहकर भारत में अपराधिक आतंकवादी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं।
उधर घरेलू मोर्चे में भी कनाडा के प्रधानमंत्री संसद में घिरे हुए हैं उनकी मुख्य विपक्षी विरोधी पार्टी कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पालियेव् ने कहा प्रधानमंत्री ने जो भारत पर आरोप लगाए हैं उसका कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। प्रधानमंत्री को जनता के सामने ठोस सबूत रखना चाहिए । भारत सरकार ने कनाडा के प्रधानमंत्री के आरोपों का जोरदार जवाब देकर कनाडा वीजा पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है और उनके राजदूत को भारत से वापस भेज दिया है। कनाडा में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध की धज्जियां उड़ा कर रख दी है, कनाडा जहां अंतरराष्ट्रीय नियमों की दुहाई देते हुए खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप की हत्या का आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाह रहा है वही खुद लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय नियमों और द्विपक्षी समझौता का उल्लंघन करता आ रहा है।
भारत सरकार ने बीते 5 सालों में कनाडा को खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए 26 अनुरोध भेजें लेकिन कनाडा सरकार ने स्पष्ट रूप से झटक दिया था। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी 43 दुर्दांत आतंकवादियों की सूची जारी की है जो कनाडा में गुप्त रूप से रह रहे हैं कनाडा ने इस नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है। बहुत महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की ज्ञाता स्टेफनी कार्विंन कहती है कि पूरे यूरोप और अमेरिका के हिसाब से ड्रैगन चीन से शक्ति संतुलन में भारत देश अत्यंत अपरिहार्य है। इसमें कनाडा का कोई महत्व नहीं रह गया है और यही वजह है कि कनाडा की तरफ से भारत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के बाद भी अमेरिका तथा यूरोपीय देश की प्रतिक्रिया बहुत सधी हुई है, और किसी भी देश ने भारत के खिलाफ कोई बयान देने में किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखाई है।
अमेरिका,ब्रिटेन और यूरोपीय देश एक तरह से भारत के साथ संबंधों को नए स्तर पर पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं दूसरी तरफ कनाडा ने भारत के साथ अपने संबंधों को अब तक की सबसे खराब स्थिति में पहुंचा दिया है। कनाडा ने भारत के साथ अपने संबंध खराब करके दुनिया में अपने आप को अकेला कर लिया है, आतंकवादियों को अपने देश में शरण देकर अब वह पाकिस्तान की राह में चल पड़ा है और पाकिस्तान की तरफ अलग-अलग पड़ गया है। उसे किसी भी देश का समर्थन प्राप्त नहीं है जिसकी कल्पना कनाडा के प्रधानमंत्री ने कभी नहीं की थी। भारत में आयोजित विगत दिनों g20 सम्मेलन से भारत के संबंध दुनिया के देशों से बेहतर से बेहतरीन हो गए और कनाडा इस मामले में अकेला रह गया है।
अब यह तो तय है कि जब तक कनाडा के प्रधानमंत्री खालिस्तान आतंकवादियों को भारत को प्रत्यपित नहीं करता है तब तक भारत के राजनीतिक संबंध कनाडा से सुधार नहीं सकते हैं। ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की संयुक्त राष्ट्र संघ में बैठक में सभी प्रारूपों के आतंकवाद की खुलकर निंदा की और g20 पर भारत की अध्यक्षता की सराहना भी की तथा g20 के स्थाई सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ का स्वागत किया ब्रिक्स के सदस्यों के विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद आतंक के लिए अनुकूल उग्रवाद और कट्टरपन से पैदा खतरे तथा इससे सभी रूपों में मुकाबला करने की प्रतिबद्धता जताई है।
भारत को विश्व के अधिकांश देशों का समर्थन प्राप्त है और कनाडा के प्रधानमंत्री अपना बयान देकर अत्यंत आसहज हो गए हैं भारत द्वारा उनके आरोपों के सबूत मांगने पर कनाडा सरकार ने चुप्पी साथ ली है। कनाडा की सरकार अल्पमत की सरकार और डेमोक्रेटिक फ्रंट वाली पार्टी का समर्थन प्राप्त है और यही कारण है की कनाडा के प्रधानमंत्री अल्पमत होने के कारण इस तरह की बयान बाजी कर रहे हैं जो भारत कनाडा के संबंधों के लिए शुभ संकेत नहीं है।
संजीव ठाकुर, स्तंभकार, चिंतक, लेखक, संयोजक रायपुर छत्तीसगढ़