हिंदी साहित्य जगत की सबसे "महंगी कविता" का लखनऊ में लोकार्पण
लखनऊ। "मनुष्यता का सबसे बड़ा विलास है कोई ज्ञान या विचार लेकिन विडंबना यह है कि आज के युग में हर चीज के लिए पैसा है परंतु किसी विचार या ज्ञान के लिए कोई एक पैसा नही देना चाहता वो उन्हें हर जगह से मुफ्त में चाहिए। ये पुस्तक आज के युग में एक अभियान पैदा करने की कोशिश है कि आज के इस विलासिता की तरफ भागते हुए युग को समझना होगा कि सभी विलासताओं के ऊपर ज्ञान होता है
" उक्त कथन स्वामी ओमा द अक् ने अपने द्वारा रचित एवं साहित्य अकादमी पुरस्कृत अनामिका जी द्वारा संकलित एवं वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह "मंहगी कविता" के लोकार्पण कार्यक्रम में दिया।देश के जाने- माने साहित्यकारों ने पुस्तक पर परिचर्चा करते हुए वरिष्ठ कवि उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि स्वामी ओमा जी की कविताएं सामाजिक सरोकार एवं आम आदमी के सवालों को खड़ा करती है साथ ही अनेक दार्शनिक विचारों को भी प्रकट करती है।
पद्मश्री बिंदु विद्या सिंह जी ने कहा कि कोई भी देश और समाज अपनी भाषा के सम्मान के साथ ही सम्मानित होता है।डॉ अर्चना दीक्षित ने कहा कि स्वामी ओमा जी कविताएं अंतर्चेतना से संपन्न है और संसार के मर्म को प्रगट करती है।लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय जी ने कहा कि साहित्य और भाषा किसी भी समाज की बहुमूल्य थाती होती है।कार्यक्रम के दौरान वाणी प्रकाशन के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी ने कहा कि यह पुस्तक हिंदी साहित्य के जगत में एक क्रांति है। जाने माने रंगकर्मी डॉ रति शंकर त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी जी की कविता में काशी का अल्हड़पन और अक्खड़पन दोनो शामिल है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ठ आईपीएस डी.प्रकाश समेत समर राज गर्ग, डॉ अर्चना दीक्षित, चंद्रशेखर,प्रमोद चौधरी,फारूखी वासिफ,शायर अली साहिल,अमित श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।कार्यक्रम का संयोजन हितेश अक् एवं साकिब भारत ने किया।मंच संचालन प्रसिद्ध कवि सर्वेश अस्थाना ने किया।
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