यूथ ने किया धरोहर संरक्षण का संकल्प
विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में छात्रों ने हिस्सा लिया, पुरस्कृत हुए और धरोहर संरक्षण का संदेश दिया

(आर.एल.पाण्डेय)
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. राजीव कुमार त्रिवेदी के द्वारा हुई, जिन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में 43 विश्व धरोहर स्थल हैं। उन्होंने युवाओं को इन धरोहरों को समझने और सहेजने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक रेनू द्विवेदी ने की। उन्होंने कहा कि अब केवल स्मारक नहीं, बल्कि संपूर्ण नगरों को भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी जा रही है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपनी संस्कृति और विरासत की रक्षा हेतु संकल्प लें।
मुख्य अतिथि प्रो. एस.एन. कपूर, पूर्व विभागाध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय ने बताया कि विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 1982 में ट्यूनीशिया से हुई थी और 1983 से इसे यूनेस्को द्वारा 18 अप्रैल को मनाया जाने लगा।
प्रतियोगिताओं में तीन श्रेणियाँ थीं—प्रोफेशनल, सीनियर, और जूनियर।
प्रोफेशनल वर्ग में:
प्रथम: दिव्यांशी
द्वितीय: अक्षय प्रताप सिंह
तृतीय: सृष्टि शुक्ला
संत्वना: भूमिका सिंह, उदय शर्मा
सीनियर वर्ग में:
प्रथम: खुशी वर्मा
द्वितीय: सुलेखा शुक्ला
तृतीय: श्रेया श्रीवास्तव
संत्वना: हिमांशु शर्मा, प्रज्ञा गुप्ता
जूनियर वर्ग में:
प्रथम: योजिता सोनकर
द्वितीय: ओमिका पाल
तृतीय: आदी मिश्रा
संत्वना: अलीना, संचिता यादव
सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और पुरस्कार देकर उत्साहवर्धन किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सहायक पुरातत्व अधिकारी ज्ञानेन्द्र कुमार रस्तोगी ने कहा कि "धरोहरें केवल अतीत का हिस्सा नहीं हैं, वे हमारी पहचान हैं।" उन्होंने सभी उपस्थित गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों, शिक्षकों एवं मीडिया प्रतिनिधियों का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर पुरातत्व निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अनेक शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल शिक्षाप्रद रहा, बल्कि एक प्रेरणादायक पहल भी बना जिसमें युवा पीढ़ी ने अपनी जिम्मेदारी को समझा और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया।
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