स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है
आर एल पाण्डेय
लखनऊ। #लखनऊविश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के संरक्षण एवं निर्देशन में फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन एवं इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योग साइंसेज के तत्वावधान में दसवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 के क्रम में 14.06.2024 को प्रातः6.00 बजे के.जी.एम.यू. के स्विमिंगपूल में विभिन्न आसनों के पश्चात लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा रोमा हेमवानी ने प्लवानी प्राणायाम का अभ्यास किया। अभ्यास के समय दृश्य मन को मोह लेने वाला था। इस अवसर पर के. जी. एम.यू.के स्टूडेन्ट डीन वेलफ़ेयर आर.ए. एस. कुशवाहा एवं अन्य छात्र छात्राएँ उपस्थित थे।
फैकल्टी के कॉर्डिनेटर डॉ.अमरजीत यादव ने प्लवानी प्राणायाम के लाभ के बारे में बताते हुए कहा कि ये शरीर से अशुद्धियों और विषाक्त पदार्थों को निकालता है, पाचन में मदद करता है और कब्ज से छुटकारा दिलाता है, रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है, वायु प्रवाह को सुचारू बनाता है और मस्तिष्क कोशिकाओं को आराम मिलता है। आगे उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मानव जीवन की कुंजी है। योगिक अभ्यास एक तरफ़ शरीर को रोगों से ग्रसित नहीं होने देते साथ ही रोगी को स्वस्थ बनाने में महती भूमिका निभाते है उदाहरण के रूप में उन्होंने बताया कि नेत्र के रोगों के लिए जलनेति, त्राटक का अभ्यास, दमा के लिए गौमुखासन, मधुमेह के अर्धमृत्सेन आसन उच्च रक्तचाप के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ्य समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है इस लिये निरोगी काया की प्राप्ति के लिये योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करे ।
प्रातः9.00 बजे योग विभाग के सभागार में योग और रोग शीर्षक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसके वक्ता आयुर्वेद विभाग़, बनारस हिंदू विश्विद्यालय के प्रो.एच.एच.अवस्थी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के योग प्रशिक्षक डॉ.ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह, योग एक्सपर्ट पूजा सिंह, इण्डियन योग फेडरेशन की योगाचार्य दीपा श्रीवास्तव थी।एच. एच. अवस्थी ने अपने संबोधन में कहा की कोई व्यक्ति योगिक दृष्टिकोण से तभी स्वस्थ्य है, जब वह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ्य हो। योग स्वास्थ्य के इन चारों आयाम को बराबर महत्व देता है,
शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ रहना ज़रूरी है उसी प्रकार आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, सामाजिक रूप से स्वतःस्वस्थ हो जाता है जिसके लिये उन्होंने शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक स्वस्थ की प्राप्ति के लिये क्रमशः आसन, प्राणायाम, मुद्रा बन्ध और ध्यान के अभ्यास को महत्वपूर्ण बताया उन्होंने आगे कहा कि प्रतिदिन अर्धमत्स्येंद्र आसन, गौमुखासन, वज्रासन, त्रिकोणसन, भ्रस्त्रिका भ्रामरी और कपालभाति प्राणायाम के साथ ही ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। डॉ.ब्रिजेंद्र ने अपने संबोधन में बताया कि शरीर में किसी प्रकार का रोग उत्पन्न ना हो उसके लिए भोजन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, सदैव ऐसे भोजन को ग्रहण करना चाहिए जो आसानी से पच जायें खट्टे, कड़वे, मसालेदार भोजन के सेवन से बचे।ये पाचन संबंधी रोग का कारण बन जाते है।
हमेशा मौसमी फल और सब्ज़ियों का सेवन करे प्रतिदिन योगाभ्यास अवश्य करना चाहिए। पूजा सिंह ने कहा कि योग सिर्फ़ रोगों का नाश ही नहीं करता बल्कि स्वस्थ्य जीवन जीने और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने का तरीक़ा है।दीपा श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि रोग पहले शरीर को फिर मन को भी रोग ग्रस्त करते है ये दोनों एक दूसरे के पूरक है अतःशारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिए आसन और प्राणायाम का अभ्यास करे।
इस अवसर पर अधिष्ठाता प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर, डॉ रामकिशोर, डॉ रामनरेश, शोभित सिंह व छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे।
What's Your Reaction?