जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई राष्ट्रीय हर्निया कॉन्फ्रेंस, निर्धन मरीजों को मिलेगी मुफ्त सर्जरी

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में तीन दिवसीय हर्निया कॉन्फ्रेंस की शुरुआत। 13 अप्रैल को 15 से 20 निर्धन मरीजों की होगी एडवांस विधि से निःशुल्क सर्जरी।

अप्रैल 11, 2025 - 22:06
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जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई राष्ट्रीय हर्निया कॉन्फ्रेंस, निर्धन मरीजों को मिलेगी मुफ्त सर्जरी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई राष्ट्रीय हर्निया कॉन्फ्रेंस

कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग और कानपुर सर्जिकल क्लब द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हर्निया कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ कॉलेज के ऑडिटोरियम में हुआ। यह तीन दिवसीय सम्मेलन इंडियन एसोसिएशन ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंडोसर्जन और एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया (उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।

कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए 300 से अधिक विशेषज्ञ सर्जनों ने हर्निया के इलाज में उपयोग होने वाली नवीनतम तकनीकों और जटिलताओं पर अपने विचार साझा किए। कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. संजय काला ने बताया कि यह आयोजन चिकित्सा शिक्षा और शोध की दिशा में कॉलेज का एक सशक्त प्रयास है। उन्होंने कहा कि इससे चिकित्सकों के साथ आमजन को भी लाभ मिलेगा।

फॉल्स इंडिया प्रोग्राम: सर्जनों को मिलेगा फैलोशिप
कॉन्फ्रेंस के आयोजक सचिव डॉ. शिवांशु मिश्रा ने बताया कि पहली बार उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही यह फॉल्स इंडिया हर्निया कॉन्फ्रेंस एक मील का पत्थर साबित होगी। तीन दिवसीय इस आयोजन के अंत में प्रतिभागी सर्जनों की एक परीक्षा होगी, जिसमें सफल होने वालों को फैलोशिप उपाधि प्रदान की जाएगी।

मुफ्त सर्जरी का अवसर
आयोजन अध्यक्ष डॉ. जी.डी. यादव ने जानकारी दी कि कॉन्फ्रेंस के अंतर्गत 13 अप्रैल 2025 को 15 से 20 निर्धन मरीजों की एडवांस लैप्रोस्कोपिक विधि से निःशुल्क हार्निया सर्जरी की जाएगी। उन्होंने बताया कि इन मरीजों का पंजीकरण 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक सर्जरी विभाग में पूरा किया गया है।

डॉ. यादव ने बताया कि भारत में अब भी अधिकांश हार्निया सर्जरी पारंपरिक चीरे वाली विधि से की जाती हैं, लेकिन दूरबीन (लैप्रोस्कोपिक) विधि अधिक सुरक्षित और कम तकलीफदेह है।

सर्जिकल तकनीकों पर गहन चर्चा
कॉन्फ्रेंस के पहले सत्र में डॉ. दीपक अग्रवाल ने हार्निया की दूरबीन विधि की उपयोगिता और इसके इतिहास पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि कैसे यह विधि मरीजों की रिकवरी को तेज और आसान बनाती है।

(संजय शुक्ला)

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