क्या धन की चमक ज्ञान की ज्योति को ढक देती है? जानें इस रहस्य का सच!
लक्ष्मी जी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि सरस्वती जी विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी हैं। दोनों देवियों का अपना-अपना क्षेत्र है और दोनों ही एक दूसरे के पूरक मानी जाती हैं।
लक्ष्मी और सरस्वती के बीच यह कथात्मक विरोध इस विचार का प्रतीक है कि कभी-कभी धन और विद्या एक साथ नहीं टिकते। जैसे कुछ लोग यह मानते हैं कि जहां धन होता है, वहां विद्या का अभाव हो सकता है, और जहां विद्या होती है, वहां धन की लालसा कम हो सकती है। यह एक दार्शनिक दृष्टिकोण है, जिसका उल्लेख कई ग्रंथों में परोक्ष रूप से किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी पुराण में लड़ाई या शत्रुता के रूप में चित्रित नहीं किया गया है।
ऐसा कोई प्रमुख पुराण (जैसे विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण आदि) नहीं है, जिसमें लक्ष्मी जी और सरस्वती जी के बीच सीधी लड़ाई का उल्लेख हो। यदि ऐसी कोई कथा हो, तो यह अधिकतर लोककथाओं या स्थानीय सांस्कृतिक ग्रंथों का हिस्सा हो सकती है, जो धार्मिक पुस्तकों में नहीं पाई जाती।
(डॉ सुमित्रा अग्रवाल, वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता)
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