क्या इस वर्ष फिर धान बीज में ठगी के शिकार होंगे किसान? कृषि विभाग कार्रवाई के नाम पर करती है खानापूर्ति
आनन्दी मेल सवांददाता
अम्बेडकरनगर - जनपद में गत कई वर्षों से घटिया किस्म के बीजों से किसानों को लाखों का चूना लगता रहा है। कई बार विभाग के अधिकारियों के आधार पर कुछ बीज विक्रेताओं को अमानक बीजों और दवाओं को बेचने का दोषी पाया जाता है। लेकिन पर्याप्त कार्रवाई नहीं होने के कारण आज भी उनके दुकान ऐसे बीजों से सजे हुए हैं। अकबरपुर के पलई गांव के कई किसानों ने बताया कि पिछली वर्ष दुकान से खरीद कर डाले गए बीजों का जमाव अच्छा नहीं हुआ था। जिले में घटिया बीजों की खेप खपाने में कई बड़े व्यापारी शामिल हैं, जबकि कार्रवाई के नाम पर बार-बार छोटे व मझोले व्यापारियों को ही परेशान करने के आरोप कृषि विभाग पर लगते रहे हैं।
सिर्फ अंकुरण क्षमता की ही होती है जांच
कृषि विभाग द्वारा दुकानों से जांच हेतु बीजों के जो नमूने सरकारी लैब में भेजे जाते हैं, वहां सिर्फ उसके अंकुरण क्षमता की ही जांच की जाती है। 80 फीसद अंकुरण क्षमता तक के बीजों को मानक के अनुरूप करार दिया जाता है। उससे कम अंकुरण वाले बीजों को अमानक की श्रेणी में माना जाता है। लेकिन किसानों की समस्या बस इतनी सी ही नहीं है। उनकी परेशानी तो तब और बढ़ जाती है, जब अंकुरण अच्छा होने के बावजूद फसल का बढ़वार उचित तरीके से नहीं होता है, उसमें पुष्ट दाने नहीं लगते हैं या फिर रोगग्रस्त पौधे होते हैं।
क्या कहते हैं जिला कृषि अधिकारी
विभाग किसानों को गुणवत्तापूर्ण उन्नत बीज उपलब्ध कराने को कृतसंकल्पित है। बाजार में बिकने वाले बीजों पर पूरी निगाह रखी जा रही है। अगर कोई व्यापारी गलत तरीके से व्यवसाय करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसान भी पक्के बिल पर ही बीज की खरीदारी करें।
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