महाकुंभ प्रयागराज में देवी चित्रलेखा का आगमन, नारी सशक्तिकरण पर हुई चर्चा

महाकुंभ प्रयागराज में देवी चित्रलेखा जी का आगमन, परमार्थ निकेतन शिविर में नारी सशक्तिकरण पर चर्चा, भक्ति और शक्ति का संगम।

फ़रवरी 2, 2025 - 18:22
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महाकुंभ प्रयागराज में देवी चित्रलेखा का आगमन, नारी सशक्तिकरण पर हुई चर्चा
महाकुंभ प्रयागराज में देवी चित्रलेखा का आगमन, नारी सशक्तिकरण पर हुई चर्चा

महाकुंभनगर: महाकुंभ प्रयागराज में प्रसिद्ध कथावाचक देवी चित्रलेखा जी ने परमार्थ निकेतन शिविर में पहुंचकर पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर उनके माता-पिता, स्वामी अनंतानंद जी (रामजी) महाराज और स्वामी अमृतानंद जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति भी रही।

नारी शक्ति और आध्यात्मिक नेतृत्व पर मंथन
इस पावन अवसर पर नारी शक्ति के सशक्त नेतृत्व को लेकर गहन चर्चा की गई। विचार-विमर्श में इस बात पर जोर दिया गया कि शक्ति, भक्ति और संकल्प की इस पवित्र धरती से नारी सशक्तिकरण की दिशा में नई पहल की जाए।

स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि समाज में नारियों को समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपनी प्रतिभा और क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें। उन्होंने कहा, "नारी को अपनी शक्ति का अहसास होना आवश्यक है। जब महिलाएं शिक्षा और आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज सशक्त होता है।"

नारी जागरूकता और सामाजिक बदलाव की अपील
देवी चित्रलेखा जी ने नारी सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को अपनी छिपी हुई शक्ति और सामर्थ्य को पहचानने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "नारी केवल परिवार की धुरी नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की आधारशिला भी है।"

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की प्रेरणा भी देता है। जब नारियां आत्मनिर्भर बनेंगी और अपने आत्मविश्वास को जगाएंगी, तब वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकेंगी।

महाकुंभ: शक्ति, भक्ति और संकल्प का संगम
महाकुंभ प्रयागराज में भक्ति, शक्ति और संकल्प का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर में नारी सशक्तिकरण को लेकर एक विशेष संकल्प लिया गया। इसमें महिलाओं की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और आध्यात्मिक उत्थान पर जोर दिया गया।

समाज और राष्ट्र निर्माण में नारी की भूमिका
महाकुंभ केवल आध्यात्मिक जागरूकता का केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान का माध्यम भी है। इस अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी और देवी चित्रलेखा जी ने समाज में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया।

महाकुंभ प्रयागराज की इस पहल से नारी शक्ति को नई पहचान मिलेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया जाएगा। ????

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