दार्जिलिंग को सिक्किम में मिलाने की मांग तेज, गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्र से की अपील

गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने दार्जिलिंग को सिक्किम में शामिल करने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील की।

फ़रवरी 10, 2025 - 17:16
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दार्जिलिंग को सिक्किम में मिलाने की मांग तेज, गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्र से की अपील
दार्जिलिंग को सिक्किम में मिलाने की मांग तेज, गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने केंद्र से की अपील

नई दिल्ली: गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस (GNC) ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित कर केंद्र सरकार से दार्जिलिंग को सिक्किम में शामिल करने की मांग उठाई। संगठन के संयोजक सुबोध ताकि ने कहा कि ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से दार्जिलिंग हमेशा से सिक्किम का हिस्सा रहा है, लेकिन वर्तमान में यह पश्चिम बंगाल का हिस्सा बना हुआ है, जिससे स्थानीय निवासियों को कई आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

इतिहास और दावों का आधार
गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस का दावा है कि दार्जिलिंग को हमेशा सिक्किम से जोड़ा गया था, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान इसे बंगाल प्रेसीडेंसी में शामिल कर दिया गया। 2007 में, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने भी कहा था कि दार्जिलिंग को सिक्किम का हिस्सा माना जाना चाहिए। इसके बावजूद, आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

आर्थिक और सामाजिक पहलू
गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस का कहना है कि दार्जिलिंग का आर्थिक लाभ मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल को जाता है, जिससे स्थानीय लोग वंचित रह जाते हैं। बाहरी निवेशक यहां व्यवसाय स्थापित कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय समुदाय को पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे। संगठन का मानना है कि यदि दार्जिलिंग को सिक्किम में शामिल किया जाता है, तो स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और पर्यटन एवं चाय उद्योग में बड़ा सुधार होगा।

सरकारी रुख और आगे की रणनीति
गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने दार्जिलिंग के भविष्य को लेकर श्वेत पत्र जारी किया था, लेकिन यह केवल कागजों तक ही सीमित रहा। संगठन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाए और दार्जिलिंग को सिक्किम के साथ मिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर जनजागरण अभियान चलाने की भी घोषणा की है। संगठन का कहना है कि वह इस मांग को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों, स्थानीय समुदायों और अन्य संगठनों से समर्थन हासिल करेगा। अगर केंद्र सरकार जल्द कोई निर्णय नहीं लेती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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