crime reporter का ग्लैमर

अखबारी दुनिया से बाहर के लोगों के बीच क्रइम रिपोर्टर का गजब का आकर्षण होता है लोगों के बीच उसकी छवि जेम्स बाॅण्ड सरीखी होती है । जो अपराधी के बीच जाकर खबरें लाता है , उनके अड्डों की पहचान करता है , होने वाली घटनाओं की सम्भावनाएं उजागर करता है यही नहीं कभी-कभी अपराधी सूचनाएं एकत्र करने में उसे अपनी जान तक भी जोखिम में डालना होता है, उसके इर्द-गिर्द हसीनाओं का जमघट होता है , वो खुले आम शराब पीता है लेकिन निहायती ईमानदार होता है जबकि वास्तविक दुनिया में इसका जस्ट उल्टा होता है अर्थात् वास्तविकता से अपरचित अधिकतर युवा जो पत्रकारिता को अपना पेशा बनाना चाहते हैं वो इसी ग्लैमर से प्रभावित होते हैं , युवा शक्ति का उपासक होता है , इसलिए क्रइम रिपोर्टर खबरें एकत्र करने के लिए वो कभी पुलिस , कचहरी एवं राजनीतिक क्षेत्रों में अच्छे संबंध रखता है यही नहीं प्रशासनिक हल्फों में भी उसके अच्छे सम्बन्ध होते हैं , कभी -कभी घटनाओं के सूत्र का पता लगाते-लगाते इनके आंगन तक पहुंच जाता है ।
अमुमन जब कोई युवा पत्रकारिता क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसे क्रइम बीट की खबरें लाने को कहा जाता है , ये भाग दौड़ का क्षेत्र होता है अपघटित अपराघी घटनाओं को हू ब हू लिखना होता है , जिसमें लेखक की भाषा में मर्मज्ञ विश्लेषण करने में माहिर होना बहुत जरूरी नहीं है ये अलग बात है कि कभी-कभी युवा पत्रकारों को बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के सूत्र मिल जाते हैं जिसका बाद में अपने वरिष्ठ सहयोगियों की मदद से देश हित और समाजहित में उनका खुलासा करते हैं , वो क्रइम रिपोर्टर पेज-3 की खबरों का हीरो होता है यानि सबसे ज्यादा उसकी खबरे पढ़ी जाती हैं जो अधिकतर अपराधी घटनाओं की होती है लेकिन अखबारी जगत में उसे सबसे कम वेतन मिलता है ,
अखबार के दूसरे कर्मी उसके सम्बन्धो से सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैं अपराध संवादाता का चोला पहनने वाले पत्रकारिता में प्रवेश ग्लैमर के कारण करते हैं उनमें पत्रकारिता का मूल मिशनरी भाव जोकि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य है अर्थात् जनहित में खबरें लिखना के भाव का लोप होता है , अक्सर युवा पत्रकार ग्लैमर के चक्कर में फंस जाते हैं जैसे- अपराधियों के पक्ष और विपक्ष में खबरें लिखना , अपने संबंधों का दुरूपयोग करना , आदि इसलिए कई बार पुलिस की रडार पर आ जाते हैं यही नहीं कुछ पत्रकार अपराधियों का शिकार भी बन जाते हैं इसका मतलब ये नहीं कि सभी के साथ एैसा होता है , बहुधा एैसा पाया जाता है जैसे-जैसे पत्रकार वरिष्ठ होते जाते हैं वो अपराध संवादाता की बीट छोड़कर दूसरे किसी क्षेत्र को चुन लेते हैं , जहाँ गंभीर लेखन की जरूरत होती है , वैसे चचा अकबर इलाहाबादी कह गये हैं कि - अखबार नवीस वो होता है जो सबकी खबर लिखता है लेकिन अपने में खुद एक खबर होता है ?
अखिल सावंत