congress - बिछने लगी मध्य प्रदेश में सियासी बिसात, दिल्ली में हरिकृष्ण द्विवेदी की जयप्रकाश अग्रवाल से मुलाकात

congress - बिछने लगी मध्य प्रदेश में सियासी बिसात, दिल्ली में हरिकृष्ण द्विवेदी की जयप्रकाश अग्रवाल से मुलाकात
बिछने लगी मध्य प्रदेश में सियासी बिसात, दिल्ली में हरिकृष्ण द्विवेदी की जयप्रकाश अग्रवाल से मुलाकात

नई दिल्ली, । कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से पार्टी के हौसले बुलंद है। कांग्रेस में बेहतर भविष्य को देखते हुए अनेक नेता घर वापसी करने की दिशा में पहल कर चुके हैं। इनमें से कई नेताओं की पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है। ऐसे नेता जो आलाकमान व वरिष्ठ नेताओं  की बेरूखी की वजह से पार्टी छोड़ कर चले गए थे, वे अब घर वापसी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर जहां भाजपा ने जमीन पर अभी से रणनीति बनाना शुरू कर दिया है, पार्टी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. वहीं कांग्रेस भी अगड़ी जाति को अपने पाले में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। दोनों ही राजनीतिक दलों ने जमीनी हकीकत को समझते हुए मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अपनी बिसात बिछाना शुरू कर चुकी है।

इसी कड़ी में बड़ा मलैहरा  छतरपुर के दिग्गज नेता, व्यवसायी और समाजसेवी हरिकृष्ण द्विवेदी ने दिल्ली में मध्यप्रदेश के प्रभारी और संगठन मामलों के जानकार वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल के साथ मुलाकात कर कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में अपनी योजनाओं को साझा किया और पार्टी के प्रति आस्था जतायी। लगभग 25 मिनट तक चली इस वार्ता में उन्होंने प्रभारी को जमीनी हकीकत के बारे में भी बताया। इस मौके पर किसान नेता अखिलेश शुक्ला, आल इंडिया ताइक्वांडो फेडरेशन के उपाध्यक्ष व राजनीतिक कार्यकर्ता रिजवान रजा, छत्तीसगढ़ से आए रमेश बघेल, सुरेश शुक्ला भी मौजूद रहे।

हरिकृष्ण द्विवेदी राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में विगत सक्रिय भागीदारी निभाने के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्था ’पहल’ के जरिए पन्ना संभाग में पर्यावरण संरक्षण के तहत 950 हेक्टेयर जमीन में साढ़े 11 लाख पेड़ों को बचा चुके हैं। 5 सालों तक आंदोलन की अगुवाई की जिसकी वजह से लियो टोरंटो कंपनी को वापस तक जाना पड़ा।

वे बसपा की सीट से बड़ा मलैहरा में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। चुनाव हारने के बाद भी वे अपनी क्षेत्र की जनता के लिए सक्रिय रहे हैं। विधानसभा के दोनों विकास खंडों में गरीब लोगों के लिए निःशुल्क एंबुलेंस का कई वर्षों से संचालन करते आए हैं। उन्होंने लगभग 10 वर्षों में 200 नेत्र शिविरों के माध्यम से करीब 28000 लोगों का इलाज एवं निःशुल्क दवाईयां, चश्मों  का  वितरण किया है, लगभग  25000  से  अधिक  लोगों  को  चित्रकूट  ले  जाकर  निःशुल्क  मोतियाबिंद  का ऑपरेशन करवा चुके हैं।

लेंस प्रत्यारोपण कार्य भी अनवरत जारी है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन, गरीबी रेखा कार्ड, परिवार सहायता आदि के जरिए करीब 5000 लोगों को लाभ दिलाव चुके हरिकृष्ण द्विवेदी विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी करते आए हैं। वे  मध्य प्रदेश में जमीनी पकड़ रखने वाले नेता माने जाते हैं। वे प्रदेश के दिग्गज नेताओं कई  के करीबियों में शुमार किए जाते रहे हैं। 2013 में उन्होंने कांग्रेस से दावेदारी की थी, और 2018 मे भी टिकट नहीं मिल पाया था और2018 बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। 

आपको बताते चलें कि मध्यप्रदेश में ब्राह्मण वोटरों की बड़ी आबादी हैं। प्रदेश की सियासी इतिहास में ये वोटर निर्णायक और सत्ता तक पहुंचाने वाले सिद्ध हुए है। कमलनाथ के नेतृत्व में विवेक तन्खा, सुरेश पचौरी, तरुण भनोत, पीसी शर्मा बड़ी भूमिका देकर पार्टी अपने प्लान में जुट गई है। हरिकृष्ण द्विवेदी जैसे जमीनी नेता की घर वापसी से कांग्रेस पार्टी का जनाधार भी बढ़ेगा, वहीं पार्टी ब्राह्मण, आदिवासी और वनवासी समाज के बड़े तबके पर सेंध लगाने में कामयाब हो सकती है।

छतरपुर की पांचों विधानसभा सीटों सहित 1लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस अपने पाले में डाल सकती है। संभावना है कि बड़ा मलैहरा में एक बड़े कार्यक्रम के जरिए हरिकृष्ण द्विवेदी अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ-साथ प्रदेश के कई बड़े नेताओं की मौजूदगी हो सकती है।