आदिवासियों के महानायक और भगवान है बिरसा मुंडा

(जैनुल आब्दीन) प्रयागराज। आजादी की लड़ाई में दलितों बहुजनों और आदिवासियों ने 1857 से पहले ही लड़ाई का बिगुल बजा दिया था क्योंकि लोगों में शोषण, साहूकारों,जमींदारों,सूदखोरों और अंग्रेजी शासन के प्रति रोष था जो 1857 से पहले बाद में आजादी मिलने तक संघर्ष जारी था।वैसे तो सब प्रांतों में क्रांतिकारी सक्रिय थे लेकिन झारखंड में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में स्वतंत्रता का संघर्ष अपने आप में एक ऐतिहासिक मिसाल है।

जून 9, 2024 - 22:27
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आदिवासियों के महानायक और भगवान है बिरसा मुंडा

आदिवासियों ने उनके नेतृत्व में रांची तथा उसके आसपास के क्षेत्र में संघर्ष करके अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे उक्त विचार यमुनापार की तहसील बारा के विकास खंड जसरा स्थित ग्रामसभा पांडर के मजरा कालिका का पूर्वा में प्रबुद्ध फाउंडेशन,देवपती मेमोरियल ट्रस्ट, डा.अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) और बाबासाहेब शादी डाट कॉम के संयुक्त तत्वाधान में संचालित ग्रीष्मकालीन प्रस्तुतिपरक प्रबुद्ध बाल रंग कार्यशाला के संयोजक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रंगकर्मी रंग निदेशक आईपी रामबृज ने कार्यशाला के बच्चों से कही।रामबृज ने आगे बताया कि बिरसा मुंडा आदिवासियों के महानायक व भगवान थे।

लोगों को जागृत करने के लिए उन्होंने बताया कि आदिवासियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण अंधविश्वास और अशिक्षा को माना। बिरसा ने मुंडाओं के बीच फैली झाड़-फूंक आदि को बेकार बताना शुरू किया। यह भी बताया की सफाई ना रखने पर क्या नुकसान होता है। उन्होंने शिक्षा के महत्व को भी समझाया। यह भी बताया कि अशिक्षित इंसान ही अक्षर शोषण का शिकार होता है। रामबृज ने आगे बताया कि बिरसा मुंडा में लोगों को जोड़ने की एक अनूठी कला थी। आदिवासियों के सुधार के लिए उन्होंने लोगों को समझाया की चोरी मत करो, हिंसा मत करो,भीख मत मांगो,साधु और ओझाओ के चक्कर में मत पड़ो। डायन और भूत पिचास पर विश्वास मत करो। चींटी की तरह परिश्रमी बनो। मैं तुम्हें डूबाने वाला नहीं हूं।

हम आदिवासी विसर्ग से ही इस धरती के मालिक हैं। प्राकृतिक रूप से हम सब स्वतंत्र हैं इसलिए स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। जिसे हम लेकर रहेंगे।रामबृज ने आगे बताया कि उस दौर में लोग उन्हें धरती बाबा कहकर पुकारने लगे। अपने सामाजिक कार्यों और उनसे जुड़ी चमत्कारी कहानियों की वजह से बिरसा मुंडा एक पैगंबर बन चुके थे। लोगों को यह विश्वास था कि उनके छूने से कहीं लगी चोट ठीक हो जाती है। बिरसा मुंडा ने बली प्रथा का विरोध किया और एक नए धर्म का सर्जन किया जिसे बिरसायत धर्म कहा जाता है। झारखंड में बिरसा मुंडा न सिर्फ सामाजिक वह राजनीतिक चेतना के प्रतीक हैं।बल्कि वह धार्मिक चेतना के भी अग्रणी माने जाते हैं। बिरसा मुंडा को बड़ा खतरा मानते हुए अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया और स्लो प्वाइजन दीया।

इस वजह से वह 9 जून 1900 को शहीद हो गए लेकिन उनकी सोच और उनके काम हमेशा याद किए जाते रहेंगे। झारखंड और बिहार में लोग उन्हें भगवान की तरह पूज्यते हैं।विरसा मुंडा के शहादत दिवस पर रिया,सीतू,सोनम, मानसी गौतम,अंशिका सोनकर, अंजली सोनकर, मानसी सोनकर, अंशिका गौतम, आजाद गौतम, निथिलेश गौतम, गुड़िया सोनकर, सोनम, शिवानी, आशीष जाटव, नीतू, आराध्या, नीलम, करीना गौतम, राधिका, रोहिणी, प्रिया श्रीवास्तव, शिवम सोनकर, लक्ष्मी,मोनिका,आस्था गौतम, शुभम,नेहा, प्रियंका गौतम,साक्षी आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित किए।

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