भारत-चीन संबंधों में नयापन: संवाद, सहयोग और विश्वास की नई शुरुआत

भारत-चीन रिश्तों में राजनयिक जश्न, संवाद और समझ की नई लहर, रिश्तों की बर्फ पिघलने लगी है।

अप्रैल 22, 2025 - 21:50
 0  9
भारत-चीन संबंधों में नयापन: संवाद, सहयोग और विश्वास की नई शुरुआत
भारत-चीन संबंधों में नयापन: संवाद, सहयोग और विश्वास की नई शुरुआत

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ ने एशिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। वर्षों के तनाव और सीमाई गतिरोध के बाद अब दोनों देशों के बीच रिश्तों की जमी बर्फ पिघलती नजर आ रही है। यह पिघलाव अचानक नहीं हुआ, बल्कि हाल के महीनों में दोनों पक्षों की ओर से हुए सतत संवाद, मेलजोल और उच्चस्तरीय बैठकों का परिणाम है।

75 वर्षों की साझेदारी का जश्न
1950 में जब भारत ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को आधिकारिक मान्यता दी थी, तब से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन इस वर्ष अप्रैल में जब राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे हुए, तो यह अवसर केवल इतिहास को याद करने का नहीं बल्कि एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाने का भी संकेत बना।

इस उपलक्ष्य में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्यांग ने अपने भारतीय समकक्षों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई संदेश भेजे। उन्होंने दोनों देशों के बीच सहयोग और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को आगे बढ़ाने की इच्छा जताई।

राजनयिक घटनाक्रमों ने दिए संकेत
हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच कई सकारात्मक घटनाक्रम सामने आए हैं। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मार्च 2025 में एक बयान में कहा था कि “भारत-चीन संबंधों में पिछले वर्ष अक्टूबर के बाद से सुधार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि हमें अंतर को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए।

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के प्रसिद्ध एआई विशेषज्ञ लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक पॉडकास्ट बातचीत में चीन के साथ भविष्य के सहयोग की संभावना जताई थी। इस टिप्पणी को चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया, जो एक उल्लेखनीय कूटनीतिक संकेत माना गया।

राजनयिक कार्यक्रमों में बदलाव
इस माह की शुरुआत में नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने भारत-चीन संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जो पहले की तुलना में एक बड़ा बदलाव था। इससे पूर्व चीनी दूतावास के आयोजनों में केवल कनिष्ठ भारतीय अधिकारी ही आमंत्रित किए जाते थे। यह परिवर्तन रिश्तों में गंभीरता और सकारात्मक सोच का संकेत देता है।

कूटनीतिक बैठकें और समन्वय
विगत वर्ष अक्टूबर में कज़ान (रूस) में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक भेंट ने रिश्तों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक नई राह खोली थी। उसी बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सैनिकों को हटाने पर सहमति दी थी।

इसके बाद नवंबर 2024 में रक्षा मंत्रियों की बैठक, फिर जनवरी 2025 में बीजिंग में विदेश सचिवों की वार्ता, इन दोनों मुलाकातों में सीमा विवाद से लेकर द्विपक्षीय संपर्कों को बढ़ाने पर चर्चा हुई। इसके नतीजे में दोनों देशों ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा पुनः प्रारंभ करने, सीधी उड़ानें बहाल करने और वीजा प्रक्रिया आसान बनाने जैसे निर्णय लिए।

सांस्कृतिक जुड़ाव: फिल्म उत्सव के माध्यम से
भारत-चीन संबंधों में सांस्कृतिक समन्वय भी बढ़ता दिखा। बीते 19 अप्रैल को बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में ‘इंडिया इंप्रेशन्स फिल्म फेस्टिवल’ की शुरुआत हुई, जिसमें भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ भारतीय जीवनशैली और संस्कृति का प्रदर्शन किया गया। इस आयोजन को चीनी दर्शकों से अच्छा प्रतिसाद मिला, जो आपसी समझ और स oft power कूटनीति का हिस्सा है।

(शाश्वत तिवारी)

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow