बस्तर में विकास की नई इबारत, भय नहीं अब भविष्य की पहचान

बस्तर अब नक्सलवाद नहीं, विकास, विश्वास और विजय की राह पर अग्रसर है, अमित शाह ने दंतेवाड़ा में कहा।

अप्रैल 6, 2025 - 19:34
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बस्तर में विकास की नई इबारत, भय नहीं अब भविष्य की पहचान
बस्तर में विकास की नई इबारत, भय नहीं अब भविष्य की पहचान
दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद के भय से निकालकर विकास की मुख्यधारा में लाने की दिशा में उठाए गए कदमों को जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि “अब बस्तर डर नहीं, भविष्य की पहचान बन रहा है।” दंतेवाड़ा में आयोजित बस्तर पंडुम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अब बंदूकों की नहीं, स्कूल की घंटियों की गूंज सुनाई देती है।
अमित शाह ने बस्तर में बदलाव की तस्वीर को शब्दों में पिरोते हुए कहा, “जहाँ एक समय सड़क बनाना सपना लगता था, वहाँ अब राजमार्ग दौड़ रहे हैं। अब बस्तर में अस्पताल, दवाखाने, स्कूल, और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं आम हो रही हैं।” यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और डबल इंजन सरकार की विकासशील नीतियों का परिणाम है।
शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के हर जिले के एक पारंपरिक उत्पाद को राष्ट्रीय बाजार में उतारने की योजना बनाई गई है। यह आदिवासी समाज के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने वीर गुंडाधूर और भगवान बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी नायकों को श्रद्धांजलि देते हुए जनजातीय गौरव दिवस और गौरव वर्ष की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार जनजातीय समुदाय को केवल सुरक्षा ही नहीं, सम्मान और अवसर भी दे रही है।
शाह ने नक्सलवाद को देश का सबसे बड़ा नासूर बताते हुए कहा कि अब यह समाप्ति की ओर है। 2024 में जहाँ 881 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, वहीं 2025 की शुरुआत में अब तक 521 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जो गाँव समर्पण के लिए प्रेरित करेंगे उन्हें 'नक्सल मुक्त गाँव' घोषित कर एक करोड़ रुपए की विशेष विकास निधि दी जाएगी।
शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने वालों का सरकार स्वागत करेगी, लेकिन हिंसा का रास्ता अपनाने वालों को कठोर परिणाम भुगतने होंगे। उनका स्पष्ट संदेश था: “विकास के लिए कंप्यूटर चाहिए, बंदूक नहीं। कलम चाहिए, बारूद नहीं।”
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि उनकी रणनीतियों के चलते मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा, “अब बस्तर में विकास, विश्वास और विजय की लौ जल रही है।”
बस्तर का बदलता चेहरा यह दर्शाता है कि जब नीतियां जनहित में हों और प्रशासनिक इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो सबसे मुश्किल हालात भी बदले जा सकते हैं। अमित शाह की रणनीति और सरकार की प्राथमिकताओं ने यह साबित कर दिया है कि बस्तर अब अंधकार नहीं, उजाले की ओर बढ़ रहा है।

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