विकास पुरुष स्व. विक्रमादित्य पांडे की 18वीं पुण्यतिथि पर बलिया ने किया नमन
सादगी, ईमानदारी और विकास कार्यों के लिए पहचाने जाने वाले स्व. विक्रमादित्य पांडे
पी.डी.सिंह
बलिया। सादगी, ईमानदारी और विकास कार्यों के लिए पहचाने जाने वाले स्व. विक्रमादित्य पांडे की 18वीं पुण्यतिथि पर बलिया के टाउन हॉल बापू भवन में सर्वदलीय श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और गणमान्य लोगों ने स्व. पांडे को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अपने जीवनकाल में स्व. पांडे ने शिक्षा, राजनीति और समाजसेवा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, उसे आज भी बलिया की जनता याद करती है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से उठकर राजनीति में बनाया अहम मुकाम
1 जुलाई 1945 को बलिया जिले के एक छोटे से गांव बसुधरपाह में जन्मे विक्रमादित्य पांडे ने सादगी भरे जीवन के साथ बड़े सपने देखे। उनके पिता स्व. जगन्नाथ पांडे और माता समरातो देवी ने उन्हें उच्च संस्कार दिए। गांव के ही सेटपुरास और बसरिकापुर से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने दुबहर से इंटर तक की पढ़ाई की। टाउन डिग्री कॉलेज से बीकॉम और गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
अध्यापन से राजनीति तक का सफर
अपने करियर की शुरुआत एक अध्यापक के रूप में की। सबसे पहले शिवपुर इंटर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए और फिर नगवा इंटर कॉलेज में प्रधानाध्यापक बने। राजनीति में उनका पहला कदम 1965-66 में ग्राम प्रधान बनने के साथ शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने 1972 में बेलहरी ब्लॉक के प्रमुख पद पर लगातार तीन बार जीत दर्ज की।
तीन बार विधायक और नगर विकास मंत्री बने
1984-85 में पहली बार बलिया विधानसभा से विधायक चुने गए और लगातार तीन बार विधायक बनकर कीर्तिमान स्थापित किया। 1989 में जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्हें नगर विकास मंत्री का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद 2002 में वे विधान परिषद सदस्य चुने गए। उनकी कुशल राजनीति और साफ छवि के कारण वे मुलायम सिंह यादव के करीबी बने रहे।
बलिया के विकास में महत्वपूर्ण योगदान
स्व. विक्रमादित्य पांडे को बलिया के सर्वांगीण विकास का श्रेय दिया जाता है। उनके प्रयासों से बलिया में सड़कों का चौड़ीकरण, गंगा नदी पर पुल निर्माण, नगर में सीवर प्लांट की स्थापना, बसंतपुर में आयुर्वेदिक अस्पताल और वसुधरपाह में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी परियोजनाएं पूरी हुईं। उन्होंने बसरिकापुर और नगवा में बालिका कॉलेज की स्थापना कर शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया।
जनता के बीच 'गुरुजी' के नाम से मशहूर
पेशे से शिक्षक होने के कारण वे लोगों को अपने शिष्यों की तरह मानते थे और सभी को चेला कहकर बुलाते थे। इस वजह से लोग उन्हें प्यार से 'गुरुजी' कहकर पुकारते थे। जनता के प्रति उनकी यह सादगी और अपनापन आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।
आखिरी विदाई को खुद पहुंचे थे मुलायम सिंह यादव
14 जनवरी 2007 को लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम विदाई में मुलायम सिंह यादव स्वयं बलिया पहुंचे और उन्हें कंधा देकर श्रद्धांजलि दी।
हर साल होती है सर्वदलीय श्रद्धांजलि सभा
स्व. विक्रमादित्य पांडे की पुण्यतिथि हर साल 14 जनवरी को टाउन हॉल बापू भवन में सर्वदलीय श्रद्धांजलि सभा के रूप में मनाई जाती है। इस अवसर पर सभी राजनीतिक दलों के नेता एकत्रित होकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
नमन उस विकास पुरुष को, जिसने बलिया को नई दिशा दी
अपने राजनीतिक जीवन में स्व. पांडे ने गरीबों की मदद और विकास कार्यों को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी बलिया की जनता के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व को उनकी 18वीं पुण्यतिथि पर बलिया ने सादर नमन किया।
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