लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए तत्पर रहे अटल जी: मिथिलेश नारायण

अटल बिहारी बाजपेई की सौवीं जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मिथिलेश नारायण ने अटल जी के लोकतांत्रिक मूल्यों और जीवन दर्शन पर अपने विचार रखे।

दिसंबर 24, 2024 - 22:10
 0  10
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए तत्पर रहे अटल जी: मिथिलेश नारायण

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में आयोजित अटल सुशासन सप्ताह के अंतर्गत अटल बिहारी बाजपेई की सौवीं जयंती के मौके पर मंगलवार को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का विषय था 'लोकतंत्र में नैतिक मूल्य'। मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में मिथिलेश नारायण, क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने अटल बिहारी बाजपेई के योगदान और उनकी लोकतांत्रिक दृष्टिकोण पर अपने विचार साझा किए।

मिथिलेश नारायण ने कहा कि अटल जी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने कभी भी सत्य से समझौता नहीं किया और हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। अटल जी की कविताएं केवल रोटी, कपड़ा, मकान की बात नहीं करती थीं, बल्कि वे भारतीय जीवन मूल्यों से प्रेरित थीं। उन्होंने कहा कि अटल जी का यह मानना था कि पर्यावरण ही इस दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है, और अगर इसे बचाया नहीं गया तो जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

अटल जी द्वारा स्थापित स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह आज पूरे देश में सफलतापूर्वक कार्यान्वित हो रही है और यह अटल जी के दूरदर्शिता को प्रमाणित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अटल जी का मानना था कि भारत सिर्फ एक नक्शा नहीं है, बल्कि हम सभी भारत हैं।

विशिष्ट अतिथि, राधाकांत ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, प्रयागराज ने कहा कि आज अटल जी के विचारों को मानने वाले बहुत हैं, लेकिन उन विचारों पर चल कर दिखाना सबसे बड़ी बात है। उन्होंने समाज में नैतिक मूल्यों के ह्रास को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें अटल जी के जीवन दर्शन को आत्मसात करना होगा।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर सत्यकाम, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा कि अटल जी नैतिकता के प्रतीक थे और उन्होंने हमेशा भारतीय संस्कृति को प्राथमिकता दी। उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत को शक्तिशाली बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।

इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अटल सुशासन पीठ के निदेशक प्रोफेसर पीके पांडेय और विषय प्रवर्तन समाज विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आनंदानंद त्रिपाठी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. त्रिविक्रम तिवारी ने किया।

अटल जी के योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 दिसंबर को विश्वविद्यालय के सरस्वती परिसर में उनकी प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही, अटल जी की कविताओं का एक संग्रह भी वितरित किया जाएगा और विश्वविद्यालय परिवार के स्वास्थ्य कल्याण हेतु प्राची अस्पताल से एक समझौता ज्ञापन होगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow