Salute - बुद्धिमान बहादुर देशभक्त यहूदी कॉम

अगस्त 7, 2023 - 11:38
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Salute - बुद्धिमान बहादुर देशभक्त यहूदी कॉम
बुद्धिमान बहादुर देशभक्त यहूदी कॉम

अखिल सावंत 

यहूदी कॉम  ने अपनी बुद्धिमत्ता शौर्य एवं यहां के निवासियों ने अपने देश प्रेम की भावना के बूते  पूरे विश्व में मात्र डेढ़ करोड़ की आबादी ने अपने वर्चस्व को दिखा दिया इसका प्रमाण है प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में इस धर्म के लोगों की हिस्सेदारी कुल  नोबेल पुरस्कार का 20 परसेंट है। यहां तक कि अल्बर्ट आइंस्टीन भी यहूदी थे।

यहूदियों का एकमात्र देश है इज़राइल जिसकी आबादी सवा करोड़ के करीब है  यह देश चारों ओर से दुश्मन राष्ट्रों से घिरा हुआ है लेकिन इसकी गिनती विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों में होती हैं इस देश के निवासियों में देशभक्ति की भावना कूट.कूट कर भरी हुई है। हर किशोर  युवक युवतियों को मिलिट्री ट्रेनिंग अनिवार्य है। युवकों के लिए 5 वर्ष और युवतियों के लिए 2 वर्ष है। यहूदी कॉम पर कट्टर धार्मिकता का आरोप लगाया जाता है। इसके बावजूद अपनी प्रगति से कार्ल मार्क्स की उस थ्योरी को नकार दिया है जिसमें कहा गया है धर्म प्रगति में अवरोध का कार्य करता है इसी के साथ उसने धार्मिक कट्टरता को कूप मंडूकता का आरोप लगाने वालों को धराशाई कर दिया है।

त्रासदी यह रही है कि यूरोसोलं केमूलनिवासी यह कॉम 2000 वर्षों से अधिक समय तक पूरे विश्व में भटकती रही है इसके साथ दर्दनाक हैवानियत  रूह कपाने  वाले अत्याचार किए गए हैं विशेषकर  इसाई धर्म मुस्लिम धर्म के मानने वालों द्वारा। तानाशाह हिटलर ने तो यूरोप में रह रहे लाखों यहूदियों को पकड़कर गैस चेंबर में बंद करके मार डाला। हिटलर का आरोप था कि प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार का कारण यहूदी धर्म के मानने वाले हैं उन्होंने मित्र राष्ट्रों की सेना को संसाधन उपलब्ध कराएं यूरोप और अमेरिका में भी इन पर अत्याचार कम नहीं हुए वैसे इसका कारण इनकी बौद्धिक चतुरता  और आर्थिक संपन्नता रही  है दूसरे महायुद्ध के बाद 1948 में इंग्लैंड ने यहूदी समुदाय से वायदे के अनुसार इजरायल को एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में ला दिया।

यहूदी कॉम  को इज़राइल के रूप में एक देश तो मिल गया लेकिन दुश्मनों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा इस बार दुश्मन थे अरब मुल्क के मुस्लिम राष्ट्र जो सिलसिला आज भी चल रहा है। उस पर कई बार आक्रमण हुआ कई बार उसके नागरिकों को बेरहम तरीके से मारा गया यहां तक कि भारत में 2009 में मुंबई में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने यहूदी परिवार को अपना शिकार बनाया इसी के चलते इज़राइल  वासियों ने एक सूत्र गढ़ लिया कि कोई भी अगर उनके एक नागरिक की हत्या करेगा तो एक आदमी के बदले वह 1000 आदमियों को मारेंगे। इजराइल के बहादुर नागरिकों की शौर्य गाथा के कई किस्से मिल जाएंगे जैसे म्यूनिख ओलंपिक में 11 इज़राइल नागरिकों की हत्या करने वाले को चुन.चुन कर मारनाए अपहृत विमान आतंकवादियों से छुड़ानाए 6 दिन के भीतर मिस जॉर्डन सीरिया और अन्य अरब वासियों को धराशायी कर देना।

अमेरिका जैसा संपन्न देश भी यहूदियों  की बुद्धिमत्ता को सलाम करता है इज़राइल  के विरुद्ध जब भीसंयुक्त राष्ट्र संघ में आदेश पारित होता है तो अमेरिका अपने वीटो का इस्तेमाल इज़राइल के पक्ष में करता है। कुछ लोग कहते हैं इसका कारण यह है कि अमेरिका में संपन्न व्यवसाई यहूदी है।

यह अजीब विडंबना है कि इजरायल भारत को अपना स्वाभाविक मित्र मानता है क्योंकि यहूदी और हिंदुस्तानियों का इतिहास एक ही जैसा रहा है जहां यहूदी कॉम  2000 वर्ष तक भटकती रही और उस पर मनमाने अत्याचार किए गए ठीक वैसे ही जैसे हिंदुस्तानी जनमानस 12 सौ वर्षो तक आतताई आक्रमण कारियों  एवं लुटेरों के अत्याचारों से पीड़ित रहा है। नेहरू वादी नीतियों के कारण 2014 से पूर्व तक भारत के इस देश  से मधुर संबंध नहीं थे इसका एक कारण अरब मुल्कों का बेवजह खौफ भारतीय  राजनीतिको  पर था। वह कहते थे कि अगर इज़राइल से मित्रता करोगे तो अरब मुल्क नाराज हो जाएंगे और उस समय वह भूल जाते थे कि अरब मुल्कों की भी विवशता  है कि भारत उन्हें  कुशल तकनीक चिकित्सा खाद्यान्न  को निर्यात करता है।

ठीक वैसे ही स्थिति अब यूक्रेन और रूस के युद्ध के दौरान पैदा हुई है लेकिन हमारे देश के प्रधानमंत्री की कूटनीतिक  कौशल का उदाहरण है। मोदी जी  बेपरवाह होकर रूस से  सस्ता तेल खरीदते रहे हैं उन्होंने इस सौदे के लिए अमेरिका और उसके मित्र देशों को चेतावनी दे दी है कि वह भारत की व्यवसायिक संबंधों पर अपना हस्तक्षेप ना करें हम वही करेंगे जो हिंदुस्तान के हित में होगा।

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