भारतरत्न Rajarshi Purushottam Das Tandon की जन्म जयंती पर विद्वत्जनों ने किया याद

भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जन्म जयंती

अगस्त 1, 2023 - 14:30
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भारतरत्न  Rajarshi Purushottam Das Tandon की जन्म जयंती पर विद्वत्जनों ने किया याद
भारतरत्न Rajarshi Purushottam Das Tandon की जन्म जयंती पर विद्वत्जनों ने किया याद

जैनुल आब्दीन

प्रयागराज। हिन्दुस्तानी एकेडेमी  के तत्वावधान में मंगलवार को अपराह्न 4 बजे एकेडेमी के प्रशासनिक कक्ष में भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की जन्म जयंती के अवसर पर राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन पर केन्द्रित विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन के साथ हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एकेडेमी के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि ‘ भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन (1 अगस्त 1882 - 1 जुलाई, 1962) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के ‘राजर्षि टण्डन भवन’ का शिलान्यास माननीय डॉ. सम्पूर्णानंद जी द्वारा 8 जून 1963 को किया गया। विचार गोष्ठी में एकेडेमी की प्रकाशन अधिकारी ज्योतिर्मयी ने कहा  ‘पुरुषोत्तमदास टण्डन के बहु आयामी और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व को देखकर उन्हें ‘राजर्षि’ की उपाधि से विभूषित किया गया।

१५ अप्रैल सन् १९४८ की संध्यावेला में सरयू तट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महन्त देवरहा बाबा ने आपको ‘राजर्षि’ की उपाधि से अलंकृत किया।’ विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए एकेडेमी के प्रशासनिक अधिकारी गोपाल जी पाण्डेय ने कहा कि ‘ भारतीय संस्कृति के परम हिमायती और पक्षधर होने पर भी राजर्षि रूढ़ियों और अंधविश्वासों के कट्टर विरोधी थे।

उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों एवं कुप्रथाओं पर भी अपने दो टूक विचार व्यक्त किये। बालविवाह और विधवा विवाह के सम्बंध में उनका मानना था कि ‘विधवा विवाह का प्रचार हमारी सभ्यता, हमारे साहित्य और हमारे समाज संगठन के मुख्य आधार पतिव्रत धर्म के प्रतिकूल हैं।’ कार्यक्रम में रतन पाण्डेय, संतोष कुमार तिवारी, अनुराग ओझा, सुनील कुमार, मोहसिन खान एवं समस्त एकेडेमी परिवार के साथ शहर के अन्य रचनाकार एवं शोध छात्र भी उपस्थित थे।

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