उत्कृष्ट कार्य के लिए शाखा प्रबंधकों, बीएमएम व बैंक मित्रों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की योजनाओं से समूह की महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर और सशक्त- प्रभारी सीडीओ
प्रतापगढ़। दीनदयाल अन्त्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत बैंक शाखा प्रबंधकों हेतु माइक्रोफाइनेंस एवं वित्तीय समावेशन विषय पर एक दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी राकेश प्रसाद की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यशाला में एनआरपी द्वारा एनआरएलएम के लक्ष्य, बैंक लिंकेज, डिजिटल फाइनेंस, वित्तीय साक्षरता, उद्यम आदि पर प्रस्तुतीकरण दिया गया।
कार्यशाला में प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी ने 20 शाखा प्रबंधकों, बैंक ऑफ बड़ौदा के 7, ग्रामीण बैंक के 9, भारतीय स्टेट बैंक के 4, 05 ब्लॉक मिशन प्रबंधक, 05 बैंक सखियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
शाखा प्रबंधकों का उन्मुखीकरण एमएनआरएल मुख्यालय द्वारा नामित राष्ट्रीय संसाधन व्यक्ति (एनआरपी) शुभंकर झा और एमपी सिंह द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी राकेश प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके माध्यम से ग्राम पंचायतों में समूहों का गठन कर उन्हें वित्तीय समावेशन से जोड़ा जाता है, ताकि समूह की महिलाओं को बैंक ऋण उपलब्ध कराया जा सके, क्योंकि महिलाओं को आजीविका से जोड़ने में बैंक एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।
एनआरएलएम योजना के तहत समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर और सशक्त बनकर आगे बढ़ रही हैं। महिला समूह बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बैंक के सहयोग से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, बैंक ने हमेशा उनका सहयोग किया है तथा भविष्य में भी पूरा सहयोग प्रदान करेगा।
समूह बनाकर बिना किसी गारंटी के आसानी से लोन मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। सरकारी अनुदान की मदद से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और खुद को सशक्त बनाने के साथ-साथ अपने परिवार को भी मजबूत बना रही हैं।
समूह निर्माण बिना किसी लागत के आसानी से ऋण मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। सरकारी अनुदान की मदद से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और खुद को सशक्त बनाने के साथ-साथ अपने परिवार को भी मजबूत बना रही हैं।
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