नीरा बक्शी: थियेटर की दुनिया में समावेशिता की प्रबल आवाज़

नीरा बक्शी: रंगमंच के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की सशक्त आवाज।

अगस्त 13, 2024 - 07:21
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नीरा बक्शी: थियेटर की दुनिया में समावेशिता की प्रबल आवाज़
नीरा बक्शी: थियेटर की दुनिया में समावेशिता की प्रबल आवाज़

नई दिल्ली। विविधता और समावेशिता के लिए एक मंच, सबरंग फाउंडेशन ने 10 अगस्त 2024 को अपना चौथा निःशुल्क ओपन माइक कार्यक्रम “सबरंग के साथ विविधता का जश्न मनाना” आयोजित किया। यह कार्यक्रम शास्त्री नगर, नई दिल्ली में हुआ, जिसमें मुख्य रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों और दिव्यांग लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न समुदायों के बीच समानता और समावेशिता को बढ़ावा देना था।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अनित्य नारायण मिश्रा, जिन्हें “बेबाक जौनपुरी” के नाम से भी जाना जाता है, उपस्थित थे। मिश्रा न केवल एक सम्मानित कवि और साहित्यकार हैं, बल्कि दिल्ली नगर निगम में राजभाषा हिंदी अनुभाग अधिकारी के रूप में भी कार्यरत हैं। उनकी सशक्त कविताओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, और उन्होंने अपनी कुछ कविताएँ भी सुनाईं। कविता के शेर भी साझा किए गए।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एलकेआरएल के संगठन मंत्री रिजवान रजा, कवि हरीश भारद्वाज और डीडी स्पोर्ट्स के अध्यक्ष श्री दिनेश शर्मा की उपस्थिति रही।

इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि कुछ ऑटो रिक्शा चालकों ने पहली बार मंच पर प्रस्तुति दी। यह उनके लिए एक अनूठा अवसर था और उनके प्रदर्शन ने दर्शकों को प्रभावित किया।

"सबरंग के साथ विविधता का जश्न" कार्यक्रम ने दिल्ली स्थित एनजीओ ईगल आई से जुड़े दिव्यांग व्यक्तियों को एक समावेशी मंच प्रदान किया। इसके अलावा, वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में अपनी मौलिक और प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया।

सबरंग की संस्थापक-निदेशक नीरा बख्शी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के आयोजनों का मुख्य उद्देश्य छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाना है। उन्होंने कहा, "हमारा प्रयास उन लोगों को एक मंच प्रदान करना है जो विभिन्न परिस्थितियों के कारण अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।"

कार्यक्रम में शामिल ऑटो चालक राम लखन ने सबरंग और नीरा बख्शी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, "इस अनूठे मंच पर आना एक सपने के सच होने जैसा है। यह मेरे जीवन का एक ऐसा अनुभव है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।" राम लखन ने नीरा को 'मांता' कहकर संबोधित किया।

कार्यक्रम के अंत में, नीरा बक्शी ने अपनी टीम को धन्यवाद दिया और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उनके सामूहिक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी माना कि कार्यक्रम के दौरान कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन उनकी टीम की एकता और समर्पण ने इसे सफल बनाया। सामाजिक मुद्दों पर आधारित कई नाटकों का लेखन और निर्देशन करने वाली नीरा बक्शी ने समाज की मानसिकता बदलने के लिए कला के उपयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

सबरंग फाउंडेशन इसी तरह के मंचों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज उठाता रहेगा, ताकि उनके अधिकारों और पहचान को मान्यता मिल सके।

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