बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुआ एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा 2 अगस्त को "वर्तमान समय में शोध प्रकाशन - जीवन विज्ञान कार्यक्रम" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

अगस्त 2, 2024 - 17:27
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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुआ एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में हुआ एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा 2 अगस्त को "वर्तमान समय में शोध प्रकाशन - जीवन विज्ञान कार्यक्रम" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमिक मामलों के डीन प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की। इसके अलावा पर्यावरण विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. शिखा, आयोजक प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा, स्प्रिंगर नेचर के संपादकीय निदेशक डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, स्प्रिंगर नेचर की एसोसिएट एडिटर डॉ. सांची भीमराजका और श्रीमती नूपुर वर्मा मंच पर मौजूद रहीं।

कार्यक्रम की शुरुआत आयोजन समिति द्वारा शिक्षकों और अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर की गई। इसके बाद प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा ने अतिथियों का परिचय कराया और कार्यक्रम की रूपरेखा से सभी को अवगत कराया। मंच का संचालन डॉ. सूफिया अहमद ने किया।

अकादमिक मामलों के डीन प्रो. एस. विक्टर बाबू ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि एक शोधकर्ता के लिए अपने निष्कर्षों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में प्रकाशित करना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे उनके शोध कार्य और शैक्षणिक भविष्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।

आयोजक प्रो. नवीन कुमार अरोड़ा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं से युवा शोधकर्ताओं, विशेषकर पीएचडी स्कॉलर्स को उच्च स्तरीय पत्रिकाओं में प्रकाशन के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करने तथा शीर्ष प्रकाशकों के लिए शोध पत्र या पुस्तकें लिखने में मदद मिलती है।

स्प्रिंगर नेचर के संपादकीय निदेशक प्रो. नरेंद्र अग्रवाल ने चर्चा के दौरान कहा कि स्प्रिंगर नेचर दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है और पुस्तक प्रकाशन बाजार में स्प्रिंगर नेचर का लगभग 80% हिस्सा है।

उन्होंने एक अच्छी पुस्तक प्रस्ताव लिखने के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से बताया, जिसे प्रमुख प्रकाशकों द्वारा स्वीकार किया जा सकता है। पर्यावरण विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. शिखा ने साहित्यिक चोरी और कॉपीराइट उल्लंघन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

इसके अलावा, डॉ. सांची भीमराजका और श्रीमती नूपुर वर्मा ने हाल के शोध प्रकाशनों पर प्रस्तुतियां दीं और शोध पत्रों और पुस्तकों के लेखन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका के बारे में बताया।

कार्यशाला के अंत में एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया जिसमें शोध पत्रों एवं पुस्तकों के प्रकाशन के संबंध में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

अंत में प्रो. शिखा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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