राज्य स्तरीय व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित

Three-day state level behaviour change communication facilitator training camp organized under the aegis of Family Health India

जून 13, 2024 - 16:22
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राज्य स्तरीय व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित
राज्य स्तरीय व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित

लखनऊ। फैमिली हेल्थ इंडिया के तत्वावधान में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।इसमें आठ जिलों के सभी बीसीसीएफ ने भाग लिया।

फैमिली हेल्थ इंडिया ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सहभागी शिक्षण संस्थान, छठा मील में एम्बेड परियोजना के तहत फील्ड वर्करों के लिए तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया।

इसमें आठ जिलों - बरेली, बदायूं, लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, सोनभद्र और मिर्जापुर के सभी 80 बी.सी.सी.एफ.-व्यवहार परिवर्तन संचार सूत्रधारों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण का आयोजन एवं संचालन एम्बेड-एफएचआई के क्षेत्रीय समन्वयक धर्मेन्द्र त्रिपाठी द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण के प्रथम दिवस के उद्घाटन के पश्चात अपने संबोधन में संयुक्त निदेशक डेंगू एवं वीबीडी उत्तर प्रदेश डॉ. विकास सिंघल ने ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण समिति को उपयोगी बनाने तथा इसे और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने मलेरिया के सम्पूर्ण उपचार पर चर्चा करते हुए कहा कि मलेरिया की दवा की प्रथम खुराक सेवा प्रदाता द्वारा अपनी उपस्थिति में दी जाए, साथ ही मरीज को यह भी बताया जाए कि उसे अपना उपचार पूर्ण करना है।

गर्भवती महिलाओं और पांच साल तक के बच्चों को मलेरिया का खतरा अधिक होता है। उन्हें मच्छरदानी लगाकर सोने की सलाह दी जानी चाहिए।

यदि किसी को बुखार हो तो आशा के माध्यम से तत्काल जांच कराएं। टीकाकरण के दौरान वहां उपस्थित सभी महिलाओं की मलेरिया जांच आशा के माध्यम से अवश्य कराएं।

वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक समीउल्लाह खान ने कहा कि बुखार के हर मरीज की जांच होनी चाहिए तथा लैब टेक्नीशियन के पास मलेरिया की दवा होनी चाहिए तथा वह अपनी मौजूदगी में ही मरीज को पहली खुराक दें।

स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा संचालित एंबेड परियोजना के तहत बीसीसीएफ प्रशिक्षण के दूसरे दिन राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी देश डेंगू से परेशान हैं।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में निरंतर प्रयास और सामुदायिक सहयोग से ही किसी क्षेत्र को मलेरिया और डेंगू से मुक्त रखा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित मलेरिया मुक्त राष्ट्र श्रीलंका की अपनी यात्रा की यादों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां के नागरिकों में नागरिकता की भावना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बीसीसीएफ द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इन विभिन्न जागरूकता गतिविधियों को स्थानीय लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया के विभिन्न माध्यमों की मदद लेना आवश्यक है।

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य विधि अधिकारी अरविंद भारद्वाज ने आम जनता के स्वास्थ्य के अधिकार पर विस्तार से चर्चा की।

।।सर्वे भवन्तु सुखिनये सर्वे भवन्तु निरामया।। इसी विचार के साथ राज्य कीट वैज्ञानिक डॉ. सुदेश कुमार ने मच्छरों के जलीय जीवन चक्र के बारे में बताया कि मलेरिया का एनोफिलीज मच्छर गंदे पानी में तथा डेंगू का एडीज मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पनपता है।

जलीय अवस्था में इनका अंत करना बहुत जरूरी है। नर मच्छर का जीवन सात से दस दिन का होता है। नर मच्छर फूल और पत्तियों से अपना पोषण करता है, जबकि मादा मच्छर खून चूसकर अपना पोषण करती है।

उन्होंने बताया कि मच्छर बहुत तेजी से प्रजनन करते हैं, एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में 3 से 4 बार अंडे देती है और एक बार में 200 से 250 अंडे देती है।

यूनिसेफ के एसबीसी विशेषज्ञ डॉ. दानिश खान ने कहा कि हमें अपनी बात समुदाय के लोगों तक पहुंचाने के लिए स्थानीय मुद्दों पर आधारित संवाद और भाषा का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने छह 'ना' के विभिन्न स्तरों के माध्यम से अपनी बात कही, जिस पर बीसीसीएफ ने रोल प्ले के माध्यम से आईपीसी के इन विभिन्न चरणों का अभ्यास कराया।

*मेडीटेक संस्थान के सीएमडी डॉ. अरुण भरारी ने समय प्रबंधन और बेहतर संचार पर चर्चा की। इस अवसर पर लकड़ी के आईईसी के माध्यम से मच्छरों से बचाव के विभिन्न साधनों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया और उन्हें इन उपलब्ध साधनों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

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