बसंत पंचमी' के अवसर पर प्रायोगिक चीनी मिल में पेराई कार्य शुरू
संजय शुक्ला कानपुर - 'बसंत पंचमी' के शुभ अवसर पर, "ज्ञान की देवी" माँ सरस्वती के पूजन के उपरांत, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की प्रायोगिक चीनी मिल में पेराई कार्य आज से शुरू हो गया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच केन करियर में गन्ना डालकर पेराई सत्र का शुभारंभ किया।
विश्व के किसी भी शर्करा संस्थान में इस प्रकार की चीनी मिल छात्रों को प्रशिक्षण देने हेतु उपलब्ध नहीं है। इस प्रायोगिक चीनी मिल में अनेक प्रकार की गुणवत्ता की चीनियों का निर्माण किया जा सकता है। प्रायोगिक चीनी मिल में अनेक नवीन उपकरण एवं स्वचालित संयंत्र लगे हैं, जिससे छात्रों को गहन व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलता है। यही कारण है कि राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के छात्र चीनी निर्माण की प्रक्रिया को जानने वाले निपुण और सक्षम टेक्नोलॉजिस्ट एवं इंजीनियर बनते हैं जिनकी चीनी व सम्बद्ध उद्योगों में भारी मांग रहती है, निदेशक ने कहा।
संस्थान के शोधकर्ता भी इस अवसर पर चीनी निर्माण एवं सह उत्पादों, मुख्यता खोई से मूल्य वर्थित उत्पाद बनाने की नयी तकनीकों के ट्रायल करेंगे। जहाँ संस्थान के शुगर टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा मैकेनिकल क्लेरिफिकेशन द्वारा चीनी उत्पादन में केमिकलों की खपत एक तिहाई तक कम करके उच्च गुड़वत्ता की चीनी बनाने हेतु ट्रायल किया जायेगा, वहीं भौतिक रसायन विभाग गन्ने की खोई से डाइटरी फाइबर बनाने की नयी तकनीक की जांच करेगा, प्रो मोहन ने बताया।
इस अवसर पर संस्थान की प्रायोगिक चीनी मिल के सहायक आचार्य शर्करा अभियांत्रिकी, विनय कुमार ने बताया कि इस वर्ष हम मिल में रॉ शुगर, रिफाइंड शुगर एवं प्लांटेशन व्हाइट शुगर का निर्माण करेंगे। साथ ही विद्यार्थियों को शुगरकेन मैनेजमेंट एवं एफ्लूएंट ट्रीटमेंट पर भी व्यावहारिक ज्ञान दिया जाएगा।
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