Atiq-Ashraf's murder के बाद बेंची गयी कई सम्पत्तियाॅ , एजेंसियों को नहीं लग सकी भनक, 43 सम्पत्तियों को बेचा गया

जैनुल आब्दीन
प्रयागराज। अतीक-अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज के जिला अस्पताल परिसर में 15 अप्रैल को हुई हत्या के बाद परिवार पर आर्थिक संकट आया, तो सूरज पाल के नाम से खरीदी गई संपत्तियों को बेचने का सिलसिला शुरू हो गया। अतीक और उसके कुनबे के खिलाफ लगातार कार्यवाही कर रही प्रदेश और केंद्र की एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी और ऐसी 43 संपत्तियों को बेच डाला गया। तमाम सतर्कता के बावजूद बीते दो माह में प्रयागराज स्थित ऐसी चार संपत्तियों को बेच दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक जमीनें बेचने से मिली रकम से ही अतीक का पूरा कुनबा अपने मुकदमों में पैरवी और फरारी में खर्च कर रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में एसटीएफ ने अतीक के करीबी अधिवक्ता विजय मिश्रा को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। वह अशरफ की पत्नी जैनब के साथ लखनऊ में किसी बेशकीमती जमीन का सौदा करने आया था। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग को संदेह है कि अतीक और अशरफ की मौत के बाद सूरज पाल के नाम से खरीदी गई संपत्तियों को प्रयागराज में तैनात कुछ अफसर खरीद रहे हैं।
लखनऊ में विजय मिश्रा की गिरफ्तारी के दौरान भी चर्चा थी कि जमीन का सौदा किसी बड़े अधिकारी के साथ होना था। दरअसल, प्रयागराज में अतीक के मददगार रहे अफसरों को उसकी संपत्तियों के बारे में भलीभांति पता है। इसी वजह से आशंका जताई जा रही है कि वे मौका का फायदा उठाकर औने-पौने दामों में जमीनें खरीद रहे हैं। सूरज पाल ने सदर तहसील स्थित कटहुला गौसपुर गांव में 8 जून, 28 जून, 11 अगस्त और 22 अगस्त को चार जमीनों को बेचा है। इनको जौनपुर निवासी रेनू रंजन पत्नी राम चंद्र सरोज प्रयागराज निवासी आशा देवी पत्नी अनिल कुमार, प्रयागराज निवासी अर्चना सिंह पत्नी संजय सिंह सेंगर और कौशांबी निवासी पुष्पा त्रिपाठी पत्नी रामकृष्ण को बेचा गया। इन जमीनों को करीब 60 लाख रुपये में बेचा गया है, हालांकि इनका वर्तमान बाजार मूल्य कई गुना अधिक बताया जा रहा है। इन संपत्तियों को खरीदने वाले आयकर विभाग की जांच के दायरे में आ चुके हैं।
ज्ञात हो कि प्रयागराज में राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद जिला प्रशासन, पुलिस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी माफिया अतीक अहमद के करीबियों पर कहर बनकर टूट पड़ा था। अतीक के आर्थिक साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने के लिए संपत्तियों को जब्त करने, ध्वस्तीकरण, छापेमारी का सिलसिला शुरू हो गया। अतीक के जितने भी करीबी और फाइनेंसर थे, ईडी ने उन पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इस फेहरिस्त में मोहम्मद अशरफ उर्फ लल्ला भी शामिल था। अशरफ के खिलाफ 20 मुकदमे दर्ज थे, जिसकी वजह से उसे जेल जाना पड़ा।
बता दें कि मोहम्मद अशरफ का साला अशरफ सिद्दीकी और ससुर गुलुफुल भी अतीक के गैंग के सदस्य हैं। दोनों के खिलाफ राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेशपाल के अपहरण का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। हालांकि इस दौरान किसी का ध्यान सूरज पाल पर नहीं गया और वह आसानी से संपत्तियों को बेचकर अतीक के परिजनों की मदद करता रहा।
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