हिन्दू धर्म का परम शुभ दिवस "अक्षय तृतीया"

  ‌- सुरेश सिंह बैस शाश्वत अक्षय तृतीया का पर्व छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से बड़े जोरशोर और उत्सवपूर्ण माहोल में मनाया जाता है। इसदिन छोटे बच्चों द्वारा गुडडे गुड़िया की शादी रचाई जाती है। शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि अक्ती के दिन किया जाने वाला शुभ कार्य अक्षय होता है। इसी लिये लोग इस दिन गरीबों को दान दक्षिणा देकर पुण्य लाभ कमाते है। पीने के पानी का प्याऊ भी कुछ लोगो द्वारा इसी दिन खुलवाया जाता है।

मई 9, 2024 - 05:43
 0  37
हिन्दू धर्म का परम शुभ दिवस "अक्षय तृतीया"
हिन्दू धर्म का परम शुभ दिवस "अक्षय तृतीया"

अक्षय तृतीया को पितरों को तर्पण भी किया जाता है। इसको त्रेतायुग का प्रांरभ भी माना जाता है । इसलिये इसे युगादी तिथि भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया को ही भगवान परशुराम का जन्म दिवस भी माना गया है। अक्षय तृतीया को मिटटी के गुडडे गुडडियों का विवाह कुंवारी लड़कियो द्वारा किया जाता है। इस दिन सर्व कार्य सिध्द होने से स्वयं ही आज का दिन एक सुयोग मूहूर्त होता है। खासकर छत्तीसगढ़ अंचल में ही आज का दिन एक सुयोग मूहूर्त होता है।

खासकर आज का दिवस खास महत्वपूर्ण माना जाता है। वैवाहिक कार्यों के लिये  शहर में तथा गांवो में ही जगह जगह  शादियों की धूम रहती है। वहीं बच्चों द्वारा गु़डी़या गुडडी की शादी में भी घर घर उत्साह का माहौल रहता है। शादी ब्याह का गूढ़ार्थ समझे बगैर बच्चे अपने गुडडे गुडडियो के शादी निपटाते हैं। दो सहेलियां मिलती है तो एक गुडडा ले लेती है और उसे दूल्हा बनाती हैं। दूसरी  सहेली गुडडी लेकर उसे दुल्हन बनाती है। और दोनों सहेलियां मिलजुलकर रचा डालती है अपने अपने गुडडे गुडडियों की शादियां । पहले इस दिन लोग मिटटी के पुतले बनाकर उसे वस्त्र पहनाकर गुडडे एवं गुडियां का रुप प्रदान करते थे। अब समय बदलने के साथ अक्ती का रुप भी बदल गया है। बाजार मे अब रेडीमेंड दुल्हा दुल्हन (गुडडा गुड़िया) बच्चों द्वारा इन्हे अपने घरों में  खरीदकर अपने छोटे मंडप सजाये जाते है।

इस मंडप मे तेल, हल्दी, मंगरोहन, मौर ,कंकन, करवा ,कलश, ;एवं दहेज आदि - सभी सामान मौजूद रहता है। सारी व्यवस्थाएं बिल्कुल वास्तविक विवाह के समान रहती है। और ऐसे ही गुडडे - गुडडियो का विवाह सम्पन्न करा दिया जाता है। इस अवसर पर घर के बड़े बुजुर्ग भी एकदम तटस्ट नहीं रह पाते बल्कि दर्शक होते हुये भी उनका मार्ग निर्देशन संपूर्ण संस्कार एवं क्रियाकलापो को पूरा करवाने के समय बच्चो को मिलता रहता है। अक्षय तृतीया के दिन भारत भर में हजारो लाखों की तादाद में शादियां निपटाई जाती है। गुडडे गुडडियो के साथ सचमुच को शादियो का भी नजारा सर्वत्र छाया रहता है। ग्रामीण परिवेश में एक गलत परंपरा के निर्वाह के लिये इस दिन अवयस्क बच्चो की शादिया भी हजारो की तादाद में कराई जाती है।

  ‌- सुरेश सिंह बैस शाश्वत

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow