राज्यपाल ने शिक्षा को हर नागरिक का मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रसार नहीं, बल्कि संस्कारों और देशप्रेम के सद्गुणों को भी विकसित करना है। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन के संदर्भ में कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय को इस अवसर पर सक्रिय भूमिका निभाते हुए समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार को और सशक्त बनाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने भी अपने संदेश में शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी और भारतीय ज्ञान परंपरा के समागम को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह विश्वविद्यालय काम कर रहा है।
स्थापना दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि मुक्त विश्वविद्यालय न केवल योजनाएं तैयार कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षण प्रक्रिया का प्रभावी क्रियान्वयन भी कर रहा है। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया और रोजगारपरक कौशल विकास पाठ्यक्रमों की अहमियत को बताया।
वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह वर्तमान समय में उच्च शिक्षा की विसंगतियों को दूर करने का एक प्रभावी माध्यम बनकर उभरी है। साथ ही उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रमों में समाहित करने की आवश्यकता जताई।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने अपनी अध्यक्षता में कहा कि दूरस्थ शिक्षा की पद्धति अब तकनीकी दृष्टिकोण से और भी अधिक प्रभावी बन रही है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय का निर्माण केवल इमारतों से नहीं, बल्कि छात्रों और शिक्षकों से होता है। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में संवेदनशीलता और राष्ट्र निर्माण के प्रति जिम्मेदारी का भाव विकसित करना है।
कार्यक्रम के दौरान कुलगीत निकेत सिंह ने प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया।