जेएनयू प्रतिनिधिमंडल ने कुंभ अध्ययन कार्यक्रम की सराहना की
जेएनयू के शोध प्रतिनिधिमंडल ने यूपी राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में कुंभ अध्ययन प्रमाण पत्र कार्यक्रम की सराहना की, जो कुंभ परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ा रहा है।

जैनुल आब्दीन
प्रयागराज। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), नई दिल्ली से आए एक शोध प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (यूपीआरटीओयू) के महाकुंभ नगर, सेक्टर 7 में स्थित दूरस्थ शिक्षा जागरूकता शिविर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कुंभ अध्ययन प्रमाण पत्र कार्यक्रम से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
यह प्रतिनिधिमंडल कुंभ मेले के विभिन्न आयामों पर गहन शोध के लिए प्रयागराज आया हुआ है। शिविर में पहुंचने पर नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह भदौरिया ने उनका स्वागत किया और कार्यक्रम की विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया।
सभी के लिए सुलभ शिक्षा
डॉ. भदौरिया ने बताया कि मुक्त विश्वविद्यालय ने जनवरी 2025 सत्र से कुंभ अध्ययन प्रमाण पत्र कार्यक्रम शुरू किया है। इसका उद्देश्य देश-विदेश के लोगों को कुंभ मेले के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के बारे में जागरूक करना है।
कुलपति प्रो. सत्यकाम ने महाकुंभ के अवसर पर छात्रों के लिए मात्र ₹500 में नामांकन की सुविधा प्रदान की है। इस कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त "कुंभ गाइड" पर्चे वितरित कर रहे हैं, जिससे इसमें रुचि रखने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
डॉ. भदौरिया ने बताया कि इस कार्यक्रम में कुंभ मेले से जुड़े विभिन्न विषयों को कवर किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
कुंभ का पौराणिक महत्व
कुंभ और सामाजिक समरसता
कुंभ और ज्ञान परंपरा
उत्तर प्रदेश सरकार की कुंभ प्रबंधन नीतियां
भव्य और डिजिटल कुंभ का अनुभव
साधु-संतों और अखाड़ों के अमृत स्नान की परंपरा
प्रयागराज और गंगा की महिमा
माघ मास का आध्यात्मिक महत्व
कुंभ में धार्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
इस कोर्स में नामांकित छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली पाठ्य सामग्री भी दी जा रही है, जिसकी सराहना उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी कर चुकी हैं।
जेएनयू प्रतिनिधिमंडल का सकारात्मक प्रतिक्रिया
जेएनयू से आए प्रतिनिधिमंडल में प्रो. बिंदु मंगला, प्रो. अन्नू सिंह, डॉ. ऋचा सिंह, और शोध छात्राएं शैलजा जिंदल, लतिका अग्रवाल, निपासी त्यागी, शैली त्यागी और गरिमा त्यागी शामिल थीं।
उन्होंने इस कार्यक्रम को अपने शोध कार्य के लिए अत्यंत उपयोगी बताया और कुलपति प्रो. सत्यकाम का आभार व्यक्त किया। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि वे अधिक से अधिक छात्रों और शोधकर्ताओं को इस अनूठे कार्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए प्रेरित करेंगे।
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